Book Title: Nandisutrasya Churni Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha, Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha View full book textPage 9
________________ विशेषावश्यक गाथाः श्रीमलधा- पंचेव यसिया परलोडे चित्तएति (णत) कासवए । एकेकस्स य ए(चो वीसं वीसं भवे भेया) ॥ १६२६ ॥ २०७ यतिदिष्टाः | कमकिसिवाणिज्जादि मामणा जा परिग्गहे ममया । पुव्वं देवेहि कया, विभूसणा मंडणा गुरुणो ॥१६२७ ।। भा. १२ ॥ ७॥:लेह लिवीविहाणं, जिणेण बंभीए दाहिणकरेण । गणिय संखाण सुंदरीए वामेण उव९ ॥ १६२८ ॥ १३ भरहस्स रूवकम्म, नरादिलक्खणमवोइयं बलिणो । माणुम्माणवमाणं पमाणगणिमादिवत्थूणं ।।.१६२९॥ १४ मणिमादी दोराइसु पोता तह सागरम वहणाई । ववहारो लेहवणं, कज्जपरिच्छेदणत्थं वा ।। १६३० ॥ १५ कोई हकाराई सत्तविहा अहव सामभेदादी । जुद्धाई बाहुजुद्धाइयाई वट्ठाइयाणं च ॥ १६३१ ।। १६ इसत्थं धणुवेदो, उवासणा मंसुकम्ममादी य । गुरुरायादीणं वा, उवासणा पज्जवासणया ॥ १६३२ ॥ १७ | रोगहरणं तिगिच्छा, अत्थागमसत्थमत्थसत्थंति । निगलादिजमो बंधो, घाओ दंडादितालणया ॥ १६३३ ।। १८ मारणया जीववहो, जण्णा णागाइयाण पूया उ । इंदादिमहा पायं पइनियया ऊसवा होंति ॥ १६३४ ।। १९ समवायो गोट्ठीणं, गामादीणं व संपसारो वा । तह मंगलाई सोत्थियसुवनसिद्धत्थया दोण्णि ॥ १६३५ ।। २० पुव्वं कयाई गुरुणो, सुरेहिं रक्खादिकोउयाई च । तह वत्थगंधमल्लालंकारा केसभूसा य ॥ १६३६ ॥ २१ |तं दठूण पवत्तो लंकारेउं जणोवि सेसोवि | विहिणा चूलाकम्म, बालाणं चोलयं नाम ।। १६३७ ॥ २२ उवणयणं तु कलाणं, गुरुमूलं साहुणो तओ धम्मं । घेतुं हवंति सड्ढा, केई दिक्खं पवज्जंति ॥ १६३८ ॥ २३ दड़े कयं विवाहं, जिणस्स लोगोवि काउमारद्धो । गुरुदत्तिया य कन्ना, परिणिज्जंते तओ पाए ॥ १६३९ ॥ २४ eKHREASRKKRISHAPage Navigation
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