Book Title: Nandisutrasya Churni Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha, Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha View full book textPage 7
________________ विशेषावश्यक गाथाः श्रीमलधा-* चेत्तबहुलट्ठमीए, जाओ उसभी असाढणक्खत्ते । जम्मणमहो य सब्यो, नेयव्यो जाव घोसणयं ॥ १५९७ ॥ १८७॥ यतिदिष्टाः | | संवट्ट मेह आयंसगा य भिंगार तालियंटा य । चामर जोई रक्खं, करेंति एयं कुमारीओ ॥ १५९८ ॥ १८८ ॥ देसूणगं च वासं, सक्कागमणं च वंसठवणट्ठा । जं च जहा जिणांग्गं, सव्यं तं तस्स कासीय ॥ १५९९ ॥ १८९ ॥ सको वंसट्ठवणे, इक्खुअगू तेण होंति इक्खागा । आहारमंगुलीए, विहेंति देवा मणुण्णं तु ॥ १६०० ॥ १९० ॥ BI (अह वड्डइ सो भय ) भगवन्तो दिवलोगचुओ अगोवमसिराओ । दवगणसंपरिवुडो, गंदाए सुमंगलासहिआ ॥१६०१।।१९१॥ असियसिरओ सुनयणो, बिंबोट्ठो धवलदंतपंतीओ । वरपउमगभगारो. फुल्लुप्पलगंधनीसासो।। १६०२ ॥ १९२ ।। | जाईसरो य भगवं, अप्परिवडिएहिं तिहि उ नाणेहिं । कंतीय य बुद्धीय य, अब्भहिओ तेहिं मणुएहिं ॥ १६०३ ॥ १९३ ॥ . 8 पढमो अकालमच्चू तहिं तालफलेण दारओ तु हओ । कण्णा य कुलगरेणं, सिढे गहिया उसभपत्ती ॥ १६०४ ॥ १९४ ॥ भोगसमत्थं नाउं, वरकम्मं तस्स कासि देविंदो । दोण्हं वस्महिलाणं, बहुकम्म कासि देवी उ ॥ १६०५ ॥ १९५॥ छप्पुब्बसयसहस्सा, पुग्वि ( जायस्स जिणवरिंदस्स । तो भरहवं (भिसुंदीर बाहुबली चेव जा) याई ।। १६०६ ।। १९६ ॥ | देवीसुमंगलाए, भरओ बंभी य मिहुणयं जायं । देवीय सुनंदाए, बाहुवली सुंदरी चेव ॥ १६०७ ॥ भू. भा. ४ | अउणापनं जुयले, पुत्ताण सुमंगला पुणो पसवे । णीतीण अतिक्कमण, निवेयणं उसभसामिस्स ॥ १६०८ ॥१९॥ 5| राया करेइ दंड, सिढे ते बेंति अम्हवि स होउ । मग्गह य कुलगरं सो य वेति उसभो य (भे राया ) ॥१६०९ ।। १९८ ।। (आभो ) एउं सको उवागओ ( तस्स कुणइ अभि)सेयं । मउडाइअलंकार, नरिंदजोग्गं च से कुणइ ॥ १६१० ॥ १९९ ॥ RCHESH RAKAR CATEGORRORECARPage Navigation
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