Book Title: Nandisutrasya Churni Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha, Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha View full book textPage 6
________________ विशेषाव श्यक गाथा: श्रीमलधा-8 उत्तरकुरुसोहम्मे, विदेहे तेइच्छियस्स तत्थ सुओ । रायसुयसेट्टिमच्चा, सत्था ( हसुया वयंसा से ॥ १५८४ ॥ १७२ यतिदिष्टाः | वेज्जसुयस्स य गेहे, किमिकुट्टोवयं जई दटुं । वेति य ते बेज्जसुयं, करहि एयस्स तेगिच्छं ।। १५८५ ॥ १७३ Pातेल्लं तगिच्छिसुओ कंवलग चंदणं च वाणियगे । दाउं ( अभिणिखता तणव भवेण अंतगडा)॥ १५८६ ॥ १७४ ॥ 81( साहुं तिगिच्छिऊणं सामण्णं देवलोगगमणं च ) (पुंडरगिणीए उ जुया तओ) सुया वइरसेणस्स ॥ १५८७ ।। १७५ ॥ हा पढमेत्थ वइरनाभो, बाहसुबाहय पीढमहपीढे । तेसि पिया तित्थगरो. निक्खंता तेचि तत्थेव ॥ १५८८ ॥ १७६ ॥ | पढमा चोदसपुब्बी, सेसा इक्कारसंगवी चउरो । बितिओ बेयावच्चं, कितिकम्मं तातियओ कासी ॥ १५८९ ॥ १७७॥ भागफलं बाहुबलं, पसंसणा जे? इयरअचियत्ता । पढमा तित्थगरतं, वीसहि ठाणेहिं कासी य ॥ १५९० ॥ १७८ ॥ | अरहंत सिद्ध पबयण गुरु थेर बहुस्सुए तवस्सीसु । वच्छल्लया य तेसिं, अभिक्ख णाणोवओगे य ॥ १५९१ ॥ १७९ ॥ हादसण विणए आवस्सए य सीलब्बए य निरतियारो । खणलवतवच्चियाए, वेयावच्चे समाही य॥ १५९२ ॥ १८०॥ अप्पुव्वणाणगहणे, सुयभत्तो पवयणे पभावणया। एएहिं कारणेहिं, तित्थयरत्तं लहइ जीवो ॥ १५९३ ॥ १८१ ।। | पढमेण पच्छिमेण य, एए सव्वेऽवि फासिया ठाणा । मज्झिमएहिं जिणेहि एक दो तिन्नि सब्वे वा ॥ १५९४ ॥ १८२ ॥ नाभी विणीयभूमी, मरुदेवा चेव होइ उसभो य । राया य वइरनामो विमाणसचट्ठसिद्धाउ ॥ १५९५ ॥ तंच १८३ निय १८४ उववाओ सबढे, सव्वेसिं पढमओ चुओ उसभो । रिक्खेण असाढाहिं, असाढबहुले चउत्थीय ॥ १५९५ ।। (१५९६) १८५ जम्मणे नामवड्डी य, जाईस्सरणे इय । धीवाहे य अबच्चे य, अभिसेए रज्जसंगहे ॥ १५९६ ॥ १८६ ॥ ARCRASA56056 ARE-EXPage Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 238