Book Title: Nandisutram
Author(s): Devvachak, Malaygiri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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नन्दिसूत्रम् ॥१९८॥
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पन्नत्ता । पाणाउपुव्वस्स णं तेरस वत्थू पन्नत्ता । किरियाविसालपुव्वस्स णं तीसं वत्थू पन्नत्ता । लोग बिंदुसारपुवस्स णं पणवीसं वत्थू पन्नत्ता । 'दस चोदस अट्ठ अट्ठारसेव वारस दुवे अ वत्थूणि । सोलस तीसा वीसा पन्नरस अणुष्पवामि ॥ १ ॥
बारस इक्कारसमे बारसमे तेरसेव वत्थूणि । तीसा पुण तेरसमे चउदसमे पन्नविसाओ ॥ २ ॥ चत्तारि दुवालस अट्ठ चेव दस चेव चूल्लवत्थूणि । आइल्लाण चउन्हं सेसाणं चूलिआ नत्थि' ॥ ३ ॥ से तं पुव्वगए ।
से किं तं अणुओगे ? अणुओगे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा- मूलपढमाणुओगे, गंडी आणुओगे। से किं तं मूलपढमाणुओगे ? मूलपढमाणुओगे णं अरहंताणं भगवंताणं पुग्वभवा देवगमणई आउं चवणाई जम्मणाणि अभिसे रायवरसिरीओ पव्वज्जाओ तवा य उग्गा केवलनाणुप्पयाओ तित्थपवत्तणाणि अ सीसा गणा गणहरा अज्जपवत्तिणीओ संघस्स चउव्विहस्स जं च परिमाणं जिणमणपज्जव ओहिनाणी सम्मत्तसुअनाणिणो अ वाई अणुत्तरगई अ उत्तरवेउब्विणो अ मुणिणो जत्तिआ सिद्धा सिद्धिपहो जह देसिओ जचिरं कालं पाओवगया जे जहिं जत्तिआई भत्ताइं छेइत्ता अंतगडे मुणिवरुत्तमे तिमिरओघविपमुक्के मुक्खसुहमणुत्तरं च पत्ते । एवमन्ने एवमाहभावा मूलपढमाणुओगे कहिआ । सेतं मूलपढमाणुओगे । से किं तं गंडिआणुओगे ? गंडिआणुओगे कुलगरगंडिआओ,
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अवचूरिसमलंकृतम्
॥१९८॥
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