Book Title: Nandisutram
Author(s): Devvachak, Malaygiri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
नन्दिसूत्रम्
अवचूरि
समलंकृतम्
॥१९७॥
चरियं, अणंतरं, परंपरं, मासाणं, संजूह, संभिन्नं, आहब्वायं, सोवस्थिआवत्तं, नंदावत्तं, बहुँलं, पुट्ठापुढे, विओवत्तं, एवं अं, दुयावत्तं, वत्तमाणप्पयं, समभिरुढं, सबओभई, पस्सांस, दुप्पडिगह, इच्चेइआई बावीस सुत्ताइं छिन्नच्छेअनइआणि ससमयसुत्तपरिवाडीए, इच्चेइआई बावीस सुत्ताई अच्छिन्नच्छेअनइआणि आजीविअसुत्तपरिवाडीए, इचेइआई बावीस सुत्ताइं तिगणइयाणि तेरासिअसुत्तपरिवाडीए, इच्चेइआई बावीस सुत्ताई चउक्कनइआणि ससमयसुत्तपरिवाडीए एवामेव सपुत्वावरेणं अट्ठासीई सुत्ताई भवंतीति मक्खायं । से तं सुत्ताई ॥२॥ से किं तं पुवगए ? पुत्वगए चउदसविहे पन्नत्ते, तंजहा-उप्पायपुवं, अग्गाणीयं, वीरियं', अत्थिनत्थिप्पायं, नाणप्पवायं, सच्चप्पवायं, आयप्पवायं, कम्मप्पवायं, पञ्चक्खाणपवायं विजाणुप्पंवायं, अवंझं, पाणऊ, किरियाविसालं, लोगबिंदुसारं। उप्पायपुवस्स णं दसवत्थू चत्तारि चूलिआवत्थू पन्नत्ता, अग्गाणीयपुवस्स णं चउदसवत्थू दुवालस चूलिआवत्थू पन्नत्ता, वीरियपुवस्स णं अहवत्थू अट्ठचूलिआवत्थू पन्नत्ता। अत्थिनत्थिप्पवायपुवस्स णं अट्ठारसवत्थू दस चूलिआवत्थू पन्नत्ता। नाणप्पवायपुवस्स णं बारस्स वत्थू पन्नत्ता। सच्चप्पवायपुवस्स णं दोन्नि वत्थू पन्नत्ता, आयप्पवायपुव्वस्स णं सोलसवत्थू पन्नत्ता। कम्मप्पवायपुव्वस्स णं तीसं वत्थू पन्नत्ता। पच्चक्खाणपुवस्स णं वीसं वत्थू पन्नत्ता। विजाणुप्पवायस्स णं पन्नरस वत्थू पन्नत्ता। अवंज्झपुव्वस्स णं बारस वत्थू
॥१९७॥
Jain Education
For Private & Personel Use Only
HAMjainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294