Book Title: Nandisutram
Author(s): Devvachak, Malaygiri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 270
________________ श्रीनन्दि सूत्रम् । ॥२२४॥ Jain Education पृष्ठम् उद्धरणम् । यत् यदैव यतो० क्षणिकाः सर्वसंस्कारा० १७९ १८० १८१ अतोऽनेकस्वरात्० १८१ अन्नेण अन्नहा देसियंमि० १८१ सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः १८३ जं इत्थं च णं लोके तं० २०० धम्मो मंगलमुकि● २०१ सव्वेसि आयारो पढमो० चउदसलक्खा सिद्धा० २०४ २०४ पुनरवि चउदसलक्खा सिद्धा० २०४ जाव य लक्खा चउद्दस ० २०४ एगुत्तरा उ ठाणा पृष्ठम् उद्धरणम् । २०५ विवरीयं सव्वट्ठे चउदस० २०५ तेण परं दुलक्खाई दो दो० २०६ सिवगइ सव्वट्ठेहिं • २०६ पढमाए सिद्धेको० २०६ ताहे दिउत्तराए० २०६ एग चउ सत्त० २०७ ताहे तिगा विसमुत्तराए० २०८ सिauseast दो दो० २०९ विसमुत्तरा य पढमा० २०९ सिवग पढमादीए० २०९ एवमसंखेज्जाओ ० 卐 For Private & Personal Use Only टीकान्तर्गतउद्धरणानि । ॥२२४॥ www.jainelibrary.org

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