Book Title: Nandi Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Bhagwan Mahavir Meditation and Research Center

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Page 490
________________ - भावार्थ-वह विप्रजहत्श्रेणिकापरिकर्म कितने प्रकार का है ? विप्रजहत्श्रेणिकापरिकर्म ११ प्रकार का वर्णन किया गया है, जैसे १. पृथगाकाशपद, २. केतुभूत, ३. राशिबद्ध, ४. एकगुण, ५. द्विगुण, ६. त्रिगुण, ७. केतुभूत, ८. प्रतिग्रह, ९. संसारप्रतिग्रह, १०. नन्दावर्त्त, ११. विप्रजहदावर्त, यह विप्रजहत्श्रेणिकापरिकर्म श्रुत है। टीका-इस सूत्र में विप्रजहत्श्रेणिका परिकर्म का उल्लेख है। जिसका संस्कृत में विप्रजहच्छ्रेणिका शब्द बनता है। विश्व में जितने हेय-परित्याज्य पदार्थ हैं, उनका इसी में अन्तर्भाव हो जाता है। सभी साधक एक ही अवगुण से ग्रस्त नहीं हैं, जिस साधक की जैसी जीवनभूमिका है, उस भूमिका के अनुसार जो-जो परित्याज्य हैं, उन सब का उल्लेख इसमें हो, ऐसी संभावना है। जैसे भिन्न-भिन्न रोगी के लिए भिन्न-भिन्न कुपथ्य एवं अपथ्य हैं, उन सब का उल्लेख आयुर्वैदिक आदि पुस्तकों में वर्णित है। वैसे ही जिस-जिस साधक को जैसा-जैसा भवरोग लगा हुआ है, उस-उस साधक के लिए वैसा ही दोष, क्रिया परित्याज्य है, इत्यादि सविस्तर वर्णन करने वाला यह परिच्छेद हो, ऐसी संभावना है। ७. च्युताऽच्युतश्रेणिका परिकर्म ___ मूलम-से किं तं चुआचुअसेणिआपरिकम्मे ? चुआचुअसेणिआपरिकम्मे एक्कारसविहे पन्नत्ते, तं जहा- १. पाढोआगा (मा) सपयाई, २. केउभूअं, ३. रासिबद्धं, ४. एगगुणं, ५. दुगुणं, ६. तिगुणं, ७. केउभूअं, ८. पडिग्गहो, ९. संसारपडिग्गहो, १०. नंदावत्तं, ११. चुआचुअवत्तं, से त्तं चुआचुअसेणिआपरिकम्मे। छ चउक्कनइआई, सत्ततेरासियाई, से त्तं परिकम्मे। - 'छाया-अथ किं च्युताऽच्युतश्रेणिकापरिकर्म ? च्युताऽच्युतश्रेणिकापरिकर्म एकादशविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा १. पृथगाकाशपदानि, २. केतुभूतम्, ३. राशिबद्धम्, ४. एकगुणम्, ५. द्विगुणम्, ६. त्रिगुणम्, ७. केतुभूतम्, ८. प्रतिग्रहः, ९. संसारप्रतिग्रहः, १०. नन्दावर्त्तम्, ११. च्युताऽच्युतवतम्, तदेतच्च्युताऽच्युतश्रेणिकापरिकर्म। षट् चतुष्कनयिकानि, सप्त त्रैराशिकानि, तदेतत्परिकर्म। भावार्थ-शिष्य ने पूछा-भगवन ! वह च्युताऽच्युतश्रेणिकापरिकर्म कितने प्रकार का है ? आचार्य उत्तर देते हैं-हे शिष्य ! वह ११ प्रकार का है, जैसे १. पृथगाकाशपद, २. केतुभूत, ३. राशिबद्ध, ४. एकगुण, ५. द्विगुण, ६. त्रिगुण, ७. केतुभूत, ८. प्रतिग्रह, ९. संसारप्रतिग्रह, १०. नन्दावर्त्त, ११. च्युताऽच्युतवर्त्त, यह - *481*

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