Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust
View full book text ________________ ORIGHTTPSesssandesewife श्रीजोखाएल्यूरिक्षिरचितां श्रीमलायकान्तीयरिणाम VasarastrANARASRANA SERA सार्थधिप: सार्थाधिप: ૪કપ 371 1 यशोमुद्राभिधरतदा यशोभद्राभिधरतसा 426 392 3 अधेन्दुविधुन्तुदं अधर्भन्दुविधुन्तुदम् 393 1 भो / भो| भव्य भो! भो / भव्या:। .428 393 इह भवि इह भविनाम् 429 39Y 4 गुरुव्यारख्याणवे गुरुव्याख्याणव 431 378 1 प्रतिव्रतत्वेन पतिव्रतत्वेन 44 383 5. नीरन्ध्रध्वारुन्तद्धाक्ष: नीरन्ध्रध्वान्तरुद्धाक्ष: 439 303 गणशैलवत् गण्डशैलवत् 442 397 7 અપનું આપનું 42 399 5 धर्म कुर्या धर्म कुर्याः 468 4002 कोपविप्ल कोपविप्लवं 1473 Y09 3 भागं आकृष्य भोगं आकृष्य 475 4074 केशरनृपस्य केशरीनृपस्य 3. महापीठे महीपीठे 488 2.3 चंदनागुरुकाष्टौष चंदनागरुकाष्टौघ 492 3.४/५.६चंदनागुरुकाष्टौष चंदनागरुकाष्टौष 507 क 168 અગુરુના અગરુના 514 416 11 / अगुरुके अगरुके 537 र 422 4 पान्य: पान्थः 540 * 422 8 જગાએ જગાએ 560 अनुसारेग अनुसारेण भैमीस्थानत्याजनलग्नकः भैमीस्थानत्यजनलग्रक: भैमीस्थानन्त्यजन भैमीस्थानत्यजनं पारावार पारावारे अपप्रत अपतत् स्वदुःखसविभागेन स्वदुःखसंविभागेन प्रासाद प्रासादे साडप्यकृन्यान्यवर्तत साडप्यकृत्यान्न्यवर्तत સંભળીને સંભળાવીને 10 सुनकर सुनाकर बाष्पलुते बाष्पप्लुते. 7 मकेरेण मकरण वापीवण्डिकायां वापीवरण्डिकायां देवी ही देवी हो तरतार्धभूभुजः भरतार्धभुज: 7 अस्मित् स्थाने अस्मिन् स्थाने रक्ष्यतेऽत्र रक्ष्यन्तेऽत्र 10 किया हुए किया हुआ 3 क्षेमम् 2.3/5.6 महाराया महाराया: 3 . क्षुभितरक्षोवत् क्षुधितरक्षोवत् 478 16 P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
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