Book Title: Muni Shree Gyansundarji
Author(s): Shreenath Modi
Publisher: Rajasthan Sundar Sahitya Sadan

View full book text
Previous | Next

Page 39
________________ (३३) विक्रम संवत् १९७६ का चातुर्मास (झगडिया तीर्थ)। पापश्रीने इस वर्ष अपना तेरहवाँ चातुर्मास एकान्त निस्तब्ध स्थान श्री झगडिया तीर्थ पर करना इस कारण उचित समझा कि यहाँ का पवित्र वातावरण अध्ययन एवं साहित्यावलोकन के लिये बहुत सुविधा जनक था । इसके अतिरिक्त यहाँ का जल वायु स्वास्थ्यप्रद भी था। पूर्वोक्त लाभ जान के गुरु महाराजने भी भाज्ञा दे दी और आपने सीनोर में चातुर्मास किया इस ग्राम में श्रावकों के केवल तीन ही घर थे। इस चतुर्मास में , माप संस्कृत मार्गोपदेशिका प्रथम भाग का अध्ययन कर गये । साथमें तपस्या भी उसी क्रम से जारी थी। अष्टोपवास १, पंचोले २, अठम ११, छठ ६ तथा कई उपवास भी हमारे चरितनायकजीने किये थे। यद्यपि यहाँ के स्थानीय श्रावक अल्प संख्या में थे तथापि निकटवर्ती ४० गाँवों से प्रायः कई श्रावक पर्युषण पर्व में आप भी के व्याख्यान में सम्मिलित हुए । वरघोडे और स्वामीवात्सल्य का सम्पादन भी पूर्ण आनन्द से हुआ था तथा ज्ञान खाते के द्रव्य में भाशातीत वृद्धि भी हुई। बंबई से सेठ जीवनलाल बाबू सपत्नी पाकर यहाँ दो मास तक ठहरे तथा आप की सेवाभक्ति का निरन्तर लाभ लेते रहे। ___इस वर्ष यह साहित्य आपश्री का बनाया हुआ प्रकाशित हुमा । १००० शीघ्रबोध चतुर्थ भाग । यही पश्चम भाग १००० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78