Book Title: Muni Shree Gyansundarji
Author(s): Shreenath Modi
Publisher: Rajasthan Sundar Sahitya Sadan

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Page 67
________________ (६१) मुनिश्री का प्रयत्न सदा पुस्तकें लिखने का रहता है और इस प्रकार साहित्य को सुलभ और सुगम करने का श्रेय जो आपश्रीको प्राप्त हुआ है वह ध्यान देने योग्य है । इस के लिये हमारा जैन समाज विशेष कर मारवाड़ी समाज मुनिश्री का चिरऋणी रहेगा । इस वर्ष निम्न लिखित पुस्तकें प्रकाशित हुई। १००० एक प्रसिद्धवक्ता की तस्करवृत्ति का नमूना । १००० गोडवाड़ के मूर्तिपूजक और सादड़ी के लुंकों का ३५० वर्षका इतिहास । १००० ओसवाल जाति समय निर्णय | १००० जैन जातियाँ का सचित्र इतिहास । २००० शुभ मुहूर्त तथा पश्चों की पूजा । दूसरीवार १००० निराकार निरीक्षण । १००० प्राचीन छन्द गुणावली भाग द्वितीय । __ श्री संघ में एक साधारण वात पर तनाजा हो गया था जो रु ५०१) देवद्रव्य के विषय में था पर आपने ऐसा इन्साफ दिया कि दोनों पक्ष में शान्ति स्थापन हो गई तथा "जैन जाति महोदय" नामक ग्रंथ के प्रकाशन के लिये श्रावकों की ओर से लगभग ३६००) के चन्दा हुआ। सादड़ी से विहार कर धाणेराव, देसूरी, नाडलाई, नाडोल वरकाणा, रानी स्टेशन, धणी और खुडाला हो आपश्री बाली पधारे यहाँ से Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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