Book Title: Muni Shree Gyansundarji
Author(s): Shreenath Modi
Publisher: Rajasthan Sundar Sahitya Sadan

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Page 70
________________ ( ६४ ) परिचय में असम्भव है तथापि आशा है पाठक अभी इतने में ही संतोष करलेंगे । यदि अवसर हुआ तो विस्तृत रूप में आपके जीवन की घटनाएँ आपके सम्मुख रखने का दूसरा प्रयत्न किया 1 जायगा । उपराक्त ग्रंथों को अनवरत परिश्रम से तैयार कर हमारे सामने रखने का जो कार्य आपश्रीने किया है वह वास्तव में असाधारण है । इस के लिये हम ही क्या सारा जैन समाज आपका चिरऋणी रहेगा हम को आपश्री से बड़ी बड़ी आशाएँ हैं । अन्त में हम यह चाहते हैं कि आपकी असीम शक्ति से हमें जैन समाज की उन्नति करने में बहुत सहायता मिले । हमारे दुर्बल हृदय आप से निस्वार्थ और निरपेक्ष हो जावें । आपश्री इसी प्रकार हमारे सामने ज्ञान प्राप्त करने के साधन जुटाते रहें ताकि हम अपने आपको यथार्थ पहिचान ले तथा तदनुसार कार्य करें। हमें आप से सदा ऐसा उपदेश मिलता रहे कि हम अपना पराया भूल कर निरंतर विश्व सेवा में निमग्न रहें । आप दीर्घायु हों ताकि अनेक भव्य प्राणी अपनी वासना की अजेय दुर्गमाला का आपके उपदेश से क्षणभर में ध्वस्त कर डालें । हमें गौरव है कि ऐसे महा पुरुष का जन्म हमारे मरुधर हुआ है - हमारी हार्दिक अभ्यर्थना है कि सदा इसी प्रकार आप द्वारा हमारे समाज की निरन्तर भलाई होती रहे । प्रान्त में Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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