________________
"
१०००
(६३) २००० दो विद्यार्थियों का संवाद । १००० त्रियों की स्वतंत्रता या अर्द्ध भारत ( Half India)। १००० नयचक्रसार हिन्दी अनुवाद । १००० बाली के फैसले । १००. जैनजाति महोदय प्रकरण १ ला ।
" २रा। , ३ ।। , ४ था।
" ५ वाँ। १०००
, ६ ठा। १००० स्तवन संग्रह भाग ५ वाँ । १३००० तेरह सहस्र प्रतिएँ।
आपश्रीके उपदेश से यहाँ एक कन्यापाठशाला स्थापित हुई है जिस में कई कन्याएँ शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। श्री शान्तिप्रचार मण्डल का भी पुनरूद्धार हुआ इस प्रकार की संस्था की इस गाँव में नितान्त भावश्यक्ता थी सो आपश्री ही के प्रयत्न से पूरी हुई है। पुस्तक प्रचार फण्ड में रू. २०००) की श्री संघकी ओर से सहायता मिली
हमारी आशाएँ। पाठकोंने उपरोक्त अध्यायों को पढ़कर जान लिया होगा कि मुनि महाराज श्री ज्ञानसुन्दरजी कितने परिश्रमी तथा ज्ञानी हैं। यद्यपि पापनी के गुणों का विस्तृत दिग्दर्शन कराना इस प्रकार के संक्षिप्त
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com