Book Title: Muni Shree Gyansundarji
Author(s): Shreenath Modi
Publisher: Rajasthan Sundar Sahitya Sadan

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Page 71
________________ (१५) हम भूले भटके प्रशिक्षित शान में पिछड़े हुए माधरवासियों के लिये आप ही पथ प्रदर्शक एवं हमारे सर्वस्व प्रदीपगृह हैं । हमारे क्षणभार जीवन के प्रत्येकांश में प्रापश्री का मुख मुख परमानन्द दायक दिव्य सन्देश सुनाता रहे । भवदीय चरणाकिङ्करराजस्थान सुंदर साहित्य नाथ मोदी जैन, निरीक्षक टीचर्स ट्रेनिङ्ग स्कूल-जोधपुर। सदन “ Lives of great men all remind us We can make our lives sublime; And, departing, leave behind us Footprints on the sands of time. " LONG FELLOW " जीवन चरित महा-पुरुषों के, हमें शिक्षणा देते हैं। हम भी अपना अपना जीवन, स्वच्छ रम्य कर सकते हैं।" " हमें चाहिये हम भी अपने, बना जायँ पद-चिह्न ललाम । इस भूमी की रेती पर जो, व्यक्त पड़े आवें कुछ काम ||" " देख देख जिन को उत्साहित, हों पुनि वे मानव मतिषर । जिन की नष्ट हुई हो नौका, चट्टानों से टकराकर ॥" " लाख लाख संकट सहकर भी, फिर भी साहस बांधे वे । बाकर मार्ग मार्ग पर अपना, 'गिरिधर' कारज साधे वे ॥" Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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