Book Title: Muni Shree Gyansundarji
Author(s): Shreenath Modi
Publisher: Rajasthan Sundar Sahitya Sadan

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Page 47
________________ (४१) बाज फलोधी के श्रावक कर्मग्रन्थ और नयचक्र सार जैसे द्रव्यानुयोग के महान् प्रन्थों के हिन्दी अनुवाद कर जनताको सेवामें रख चुके हैं फलोधी नगरमें लगातार आपको तीन चौमासो होनेसे धार्मिक सामाजिक कार्यों में बहुत सुधार हुआ । जनतामें नव चेतन्यताका प्रादुर्भाव हुआ जैसलमेरका संघ, समवसरण की रचना, पठाई महोत्सव, स्वामिवात्सल्य, पूजा प्रभावना और पुस्तक प्रचार में श्री संघने करीबन रु ५००००) का खर्चाकर अनंत पुन्योपाजन किया था इन तीनों चतुर्मासों का वर्णन संक्षिप्त में एक कविने इस प्रकार किया है। मुनि श्री ज्ञानसुन्दरजी के तीन चातुर्मास फलोधी नगर में हुए । ॥दोहा॥ अरिहन्त सिद्ध सूरि नमुं, पाठक मुनिके पाय । गुणियों के गुणगान से. पातिक दूर पलाय ॥ १ ॥ चाल लावनीकी । श्री ज्ञानसुन्दर महाराज बड़े उपकारी-बड़े उपकारी । में वन्दु दो कर जोड़ जाउँ बलिहारी । श्री ज्ञान । टेर । पवार वंश से श्रेष्टि गोत्र कहाया । वैद्य मतों की पदवि राज से पाया । नवलमलजी पिता रूपादे माता। वीसलपुरमें जन्म पाये सबसाता ॥ विजय दशमि सेंतीस साल सुखकारी ॥ श्री बान० ॥१॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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