Book Title: Muni Shree Gyansundarji
Author(s): Shreenath Modi
Publisher: Rajasthan Sundar Sahitya Sadan

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Page 56
________________ (५०) जीमनवारों में भी आवश्यक परिवर्तन हुए । जब से हमारे मुनिराजों का ध्यान समाज की पुरानी हानिप्रद रुढियों को तुडवाने की ओर गया है हमारे समाज में जागृति के चिह्न प्रकट हो रहे हैं। प्रत्येक स्थानपर कुछ न कुछ आन्दोलन इसी प्रकार के प्रारम्भ हुए हैं। लोहावट नगरमें इस कार्य की नींब सर्व प्रथम आपहीने डाली । जिसे समाज के हजारों रूपये प्रतिवर्ष व्यर्थ खर्च हो रहा थे वह रुक गये। इस वर्ष ये पुस्तकें प्रकाशित हुई। ५००० द्रव्यानुयोग द्वितीय प्रवेशिका । १००० शीघ्रबोध भाग १ दूसरीवार । १००० , , २ , १००० , ".३ " १००० , ४ , १००० , ५ , १००० गुणानुराग कुलक हिन्दी भाषान्तर ५००० पंच प्रतिक्रमण विधिसहित । १००० महासती सुर सुन्दरी । ( कथा ) १००० मुनि नाममाला । ( कविता ) १००० स्तवन संग्रह भाग ४ था। १००० विवाह चूलिका की समालोचना । १००० छ कर्म ग्रन्थ का हिन्दी अनुवाद । २१००० सब प्रतिएँ। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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