Book Title: Muni Shree Gyansundarji
Author(s): Shreenath Modi
Publisher: Rajasthan Sundar Sahitya Sadan

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Page 57
________________ (५१) इस चौमासे में श्री संघ की ओर से करबिन रु. ९०००) सुकृत कार्य में व्यय हुए। गुरु गुण वर्णन। गुरु — ज्ञान ' नगीना । आछो दीपायो मार्ग जैन को । शहर फलोधी से आप पधारे । लोहाणा नगर मझार ॥ श्री संघ मिल महोत्सव कीनो। वरत्या जै जै कार हो ।गु० ॥१॥ चिरकाल से थी अभिलाषा । पूरण की गुरु आज ॥ सूत्र भगवती वचे व्याख्यानमें । सुण हर्षे सकल समाज हो ।गु०॥२॥ जैन नवयुवक मित्र मण्डल अरु । सुखसागर ज्ञान प्रचार ।। संस्था स्थापि किया सुधारा । हुआ बहुत उपकार हो ॥गु० ॥३॥ वीसहजार पुस्तकें छपाई । किया ज्ञान परचार ॥ न्याति जाति कई सुधारा । कहते न आवे पार हो ।गु० ॥४॥ ज्ञानप्रचार समाज सुधारण । कमर कसी गुरुराज ॥ यथा नाम तथा गुण आप के । गुणगावे 'युवक' समाज हो ।गु०॥५॥ लोहावट से विहार कर आपश्री पली पधारे। लोहावट श्री संघ तथा मण्डलके सभासद यहाँ तक साथ थे। पली में श्रीमान् छोगमलजी कोचरने स्वामीवात्सल्य भी किया था। भंडारी चन्दनचन्द्रजी तथा वैद्य मुहता वदनमलजी के साथ आप खींवसर होकर नागोर पधारे । विक्रम संवत् १९८१ की चातुर्मास (नागोर)। आपश्री का अठारहवाँ चातुर्मास नागोर में हुआ। आप ब्या Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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