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गज सुपनासे जो नाम गयवर दीनो । साल चौपनमे विवाह आपको कीनो || आठ वर्ष लग भोग संसार के भोगी ।
फिर स्थानकवासी में आप भये हैं योगी ।
सठ सालमें भए मुनिपद धारी ॥ श्री ज्ञान० ॥ २ ॥
भागमपर पूरा प्रेम कण्ठस्थ कर राधे ।
तीस सूत्रोंपर टेबा सबको वांचे ॥ आणी मिथ्या पन्थ सुमति घर आये I तीर्थशियों रत्नविजय गुरु पाये ।
साल बहत्तर सुन्दर ज्ञान के धारी || श्री ज्ञान ० ॥ ३ ॥
फलोधी चोमासों जोधपुरमें बीजो |
सूरत गुरु के पास चौमासो तीजो ||
सिद्धगिरी की यात्राको फल लीनो ।
चौथो चौमासो जाय घडिया कीनो ||
करे ज्ञान ध्यान अभ्यास सदा हितकारी ॥ श्री ज्ञान० ॥४॥
ग्राम नगर पुर पाटण विचरंत आये |
गाजा बाजा से नगरे प्रवेश कराये ||
धन भाग्य हमारे ऐसे मुनिवर पाये ।
साल सीतंतर चौमासो यहाँ ठाये ॥
नर नारी मिलके श्रानन्द मनाया भारी || श्री ज्ञान० ॥ १ ॥
१ मूल सूत्रों की संक्षिप्त भाषा. २ फलोधी.
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