Book Title: Mrutyu Mahotsav
Author(s): Dhyansagar Muni
Publisher: Prakash C Shah

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Page 53
________________ कलकलाकारका कालन्यताका मृत्यु महोत्सव कलाकाराणाकालम्पसकालमा कम्यू समाधि भावना दिन-रात मेरे स्वामी, मैं भावना ये भाऊँ । देहान्त के समय में तुमको न भूल जाऊँ ॥ शत्रु अगर कोई हों, संतुष्ट उनको कर दूँ । समता का भाव धरकर, सबसे क्षमा कराऊँ॥ देहान्त के समय ...... ॥१॥ त्यानुं आहार पानी औषध विचार अवसर । टूटे नियम न कोई दृढ़ता हृदय में लाऊँ॥ देहान्त के समय ...... ॥२॥ जागें नहीं कषायें, नहीं वेदना सतावे । तुमसे ही लौ लगी हो, दुर्ध्यान को भगाऊँ॥ देहान्त के समय ...... ॥३॥ आतम स्वरूप अथवा आराधना विचारूँ । अरहंत सिद्ध साधु रटना यही लगाऊँ। देहान्त के समय ...... ॥४॥ धर्मात्मा निकट हों, चर्चा धर्म सुनावें । ये सावधान रक्खें, गाफिल न होने पावे ॥ देहान्त के समय ...... ॥५॥ जीने की हो न वांछा, मरने की हो न इच्छा । परिवार मित्र जन से, मैं राग को हटाऊँ ॥ देहान्त के समय ...... ॥६॥ भोगे जो भोग पहले, उनका न होवे सुमरन । मैं राज्य-संपदा या पद इन्द्र का न चाहूँ ।। देहान्त के समय ...... ॥७॥ रत्नत्रय का हो पालन, हो अंत में समाधि । शिवराम प्रार्थना यह, जीवन सफल बनाऊँ॥ देहान्त के समय ...... ॥८॥

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