Book Title: Mrutyu Mahotsav
Author(s): Dhyansagar Muni
Publisher: Prakash C Shah

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Page 54
________________ मृत्यु महोत्सव मृत्यु याने क्या ? ( संकलित विचार) जीवन एवं मन की शान्ति का रहस्य केवल इतना है कि महत्त्वाकांक्षा से मुक्त रहो ! एक दिन सभी मरने वाले हैं। हमने अपनी काया में एक अस्थिर घर बनाया है । जो काया हमने पहन रखी है, वह हमारा परिचय नहीं है । प्रतिदिन कुछ समय तक मृत्यु का ध्यान करो - हम सभी यहाँ वापसी का टिकट लेकर आए हैं। मृत्यु अनजान दरवाजों को खोलती है । 1 - जान मेसफील्ट, इंग्लॅन्ड • सूर्यास्त केवल एक दृश्य है, सच नहीं, क्योंकि यहाँ का सूर्यास्त वास्तव में अन्यत्र सूर्योदय है। सूर्य तो कभी डूबता नहीं । इसी प्रकार मृत्यु भी भ्रम है क्योंकि यहाँ की मृत्यु वहाँ का जन्म बन जाती है । मृत्यु एक कक्ष से दूसरे कक्ष तक जाने का द्वार है । - संत टी. एल. वासवानी • अपने अनुभव पढ़ो, मृत्यु कभी अंत नहीं हो सकती। • मृत्यु शरीर के पिंजरे से मुक्त करने आती है। - - दादा जे. पी. वासवानी बाह्य सुख, मौज-मस्ती, नाम-यश, बड़प्पन, सत्ता और दौलत परछाइयों से अधिक कुछ नहीं । इनके पीछे दौड़ना छोड़ो और अटल यात्रा की तैयारी करो । मृत्यु अंत नहीं है, अनंत की महायात्रा है; सत्य के पथ से, ईश्वरकी मंजिल की ओर । -- Life After Death जियो तो ऐसे जियो कि सब कुछ तुम्हारा है । मरो तो ऐसे मरो कि तुम्हारा कुछ भी नहीं ॥ मृत्यु का अहसास होते ही अमरत्व की खोज शुरू हो जाती है । ओशो २७ जन्म के बाद जीवन में अन्य कोई निश्चित वस्तु हो तो वह है मृत्यु । मृत्यु याने अनंत के महल को खोलने की सुनहरी चाबी । - मिल्टन

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