Book Title: Mrutyu Mahotsav
Author(s): Dhyansagar Muni
Publisher: Prakash C Shah

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Page 61
________________ कलमकवाणाकालकाल कब मृत्यु महोत्सव कलाकार कृष्ण कलशकल्यू • पाप का बदला मृत्यु है। - रोमन्स (बाइबल) • शैतान द्वारा की गई इर्ष्या से पाप जगत में प्रविष्ट हो सका है। मनुष्य उमदा प्राणी है, जो राख बनने के बाद भी भव्य लगता है, और कब्र में भी खौफ़दार। - थोमस ब्राउन • मौत कभी भी अर्थहीन नहीं होती। • हम इंसान हैं, इसलिये भूतकालीन महानता का एक स्मरण भी विलीन होगा तो हमे दुःख होगा ही। - विलियम व झवर्थ • ज्यादातर लोग इधर-उधर भटककर, खा-पीकर, बातें करके, प्रेम करके, नफरत करके, साथ मिलकर, बिछडकर, कुछ ऊँचाई पर चढ़ते ही धूल में पटक खाते हैं, और अनेक प्रयासों के बावजूद कुछ नहीं पाकर मृत्यु की भेंट चढ़ जाते हैं। मृत्यु के महासागरमें जीवनरूपी न कुछ झाग दिखते हैं, जो क्षणमात्रमें लुप्त हो जाते हैं। -मेथ्यु ओर्नोल्ड • जब हम सब से ज्यादा सलामती का अनुभव कर रहे होते हैं तभी जिंदगी का सूर्यास्त हमे हल्के से स्पर्श करता है। • मृत्यु से क्यों डरते हो? वह तो एक अति सुन्दर अनुभव है। - चार्ल्स फोहमेन • निस्तेज मृत्यु किसी पक्षपात बिना ही गरीब की झोंपडी और राजा के महल पर आकर द्वार खटखटाती है। • मृत इंसान बातें नहीं बनाता है। • मृत्यु सारा हिसाब चुकता करती है। • मृत्यु सभी प्रकार के भेदभाव मिटा देती है। मृत्यु भेडियों की तरह ही सियार को भी फाड़कर खा जाती है। सोक्रेटिस ने आत्मा के अमरत्व के बारे में खुद का ही उदाहरण देकर समझाया है कि शारीरिक बीमारी शरीर को खा जाती है लेकिन आत्मिक बीमारी याने कि पाप आत्माको खाता नहीं है। 7. जो कभी भी मरता नहीं है उसे मौत भी मार नहीं सकती। - होरेस

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