Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाष्टमाने दान्तोऽयमित्येवमसूसुचद्यत् ॥ एए॥ नवे चतुर्गत्युपलदितेऽद-मनन्तवारं निजकर्मणागाम्॥जानुध्येनापि करध्येन रिङ्गन्मदेत्येवमचीकथत्सः॥ ए६॥ गतिक्ष्यं देवनरानिधानं शिष्टं ममेति प्रकटीचिकीर्षुः ॥ करं जनन्या अवलम्ब्य गन्तु-मैवत्पदान्यामसकस्खलन्सः॥ ए ॥ मो मा जनाः पतत संमृतिऽस्तराब्धौ संयबतेनिश्यगणं श्रयतात्मधर्मम् ॥ इत्येवमाप्तवचनाउपदेष्टुकामो मामेति वाक्यमवदत्प्रथमं किलासौ॥ए ॥ विझाय वाग्ग्मिनमथो सुतमात्मनीनं सघासरे स बदरो मुदितो नितान्तम् ॥ विद्याः कलाश्च परिशीलयितुं बुधानु-मत्या तु लौकिकगुरोः कर आर्पयत्तम् ॥ एए॥y __ १ अतःपरं श्लोकत्रयस्य वसन्ततिलकं छन्दः । २ ज्ञानदर्शनचारित्रादिरूपम्। For Private and Personal Use Only

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