Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma

View full book text
Previous | Next

Page 141
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मो ॥६॥ स महाव्रतम् ॥ ३॥ तस्याख्या देवमुनिरि-त्यनवत्सगुरूदितास दोपस्थापनमथ पूर्वदीदितयोरनूत् ॥ ४० ॥ ततो यशोमुनेश्वगत्रो । गुणनामात्तसंयमः॥रुजार्दितोऽनवत्पूर्व-कृतकर्मोदयादसौ॥४१॥ वैयावृत्त्यार्थमेतस्य तत्र राजमुनिं न्यधुः॥ स्वयं गत्रयुतास्तेऽथ विहर्तुमनसोऽनवन् ॥४२॥ तदा मोहमयीवासी संघस्तान्मुनिसत्तमान् ॥ व्यजिझपन्मोहमयी पावनीयेति सादरम् ॥४३॥ प्रस्तुतां पोमशीमेतां चतुर्मासी यथासुखम् ॥ निवस्य ते मुनिवरा विजह्वः । समये शुने॥४४॥ विज्ञप्तिमुररीकृत्य प्रस्थिता दक्षिणां दिशम् ॥ समं गत्रैः श्रावकैश्च दमनाख्यं पुरं ययुः ॥४॥ तत्र मोहमयीवासी दणा संघः सहयियासया ॥ आगत्य मोहनमुनी-न्ववन्दे हदि रागवान् । For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159