Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma
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ललतुश्च तौ ॥ अनूदनूतपूर्वेश्च तदा निष्क्रमणोत्सवः ॥१॥ प्रथमः सुमति म वितीयो देमनामकः ॥ अनूतां तौ सशुरूणां प्रसादाकिं नु उर्लनम् ॥२॥ अथैकदा धर्मचन्-नामा धर्मक्रियापरः॥ श्रीमोदनमुखाइम श्रुत्वानिग्रहमाददे ॥ ३ ॥ चतुर्विधेन । संधेन न यावदिमलाचलम् ॥ गोयं विधिना ताव-दैतवं मे न क-1 ल्पते ॥ ४ ॥ युग्मम् ॥ विजिगीषून्मोहन(न् रागिणः श्रावकाः पुनः॥न्यवासयन्को नु वाञ्छे-दियोजयितुममृतम् ॥ ५॥ विहारनिश्चयमयो झात्वा तेषां महात्मनाम् ॥ संघः संमील्य तान्प्रेम्णा| सच्चकार मुनीश्वरान् ॥६॥ माघेऽसिते तृतीयायां प्रनाते मोहन- र्षयः॥ विहृत्य सपरीवारा मुम्बापरिसरे ययुः॥॥ दयाचन्जस्यो
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