Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma

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Page 153
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ मो || सिनो नराः॥आसन्नलदा आजग्मु-स्तेन संघोऽतुषद्धशम्॥१५॥ सन तदा तिलकचन्जादि-श्रेष्टिनो धर्मतत्पराः॥ चैत्योहारार्थमदः सहस्राणि च विंशतिम् ॥ १३ ॥ श्रीमोहनमुनीन्त्राणां सुकृतोदय-|| तोऽखिलम् ॥ निरन्तरायमनव-त्पूजास्नात्रादि शोननम् ॥१२॥ एवं विंशचतुर्मास्यां कृत्वा धर्मोन्नतिं पराम् ॥ विदर्तुमचन्मुनयः परिवारेण संयुताः॥१२५॥ अथ मोदमयीवासि-श्राहा एवं व्यजिझपन्॥निजैः पदैः पुनर्मुम्बा पावनीया प्रसादतः॥१२६ ॥रागिणः श्रावका-न्देशकालाद्यालोच्य संयताः॥ उररीकृत्य विझप्तिं विजह्वश्गत्रसंयुताः॥१२॥ श्रावकैः सेव्यमानास्ते मुम्बापरिसरं क्रमात् ॥|५॥ आजग्मुरष्टनिः शिष्यै रागिणां मोदवर्धनाः ॥ १२ ॥श्रीमोदनमु For Private and Personal Use Only

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