Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मोहनमुनीजस्त-द्वोधनायैवमूचिरे ॥४॥ बदरेह नवे धर्मा-दन्यत्किस
सारमीक्षसे ॥ सुखं यदिद तत्सर्व धर्मादेवोपजायते ॥ ४६॥राजानोऽपि पुरा केचि-द्भुञ्जाना अपि संपदम् ॥न राज्यं धर्मवेद सारं सारार्थिनो विऊः॥४॥ तद्यथा नोजनामासी-आजा राजशिरोमणिः॥ तमाद कश्चिदेवं नोः प्रेतेशस्त्वाहयत्ययम् ॥ ४॥ श्रुत्वा । तबोधवचनं नोजोऽनू धर्मतत्परः ॥ प्रतिबोरे बुधायादा-उचितं पा-1 रितोषिकम् ॥ ४॥ एकदा नैष्किकस्यानू-विलम्बो धारि याचकः॥
आशिषः शतशो दत्त्वा स्वमनीष्टमयाचत ॥५०॥ स्वालंकारं वितीर्यास्य नोजोऽनीष्टमपूरयत् ॥ तदा पार्श्वचरैः पृष्टः प्रत्यादैवं च ॥६॥ नूमिपः॥५१॥ नत्यायोत्याय बोधव्यं किमद्य सुकृतं कृतम्॥आयुषः ।
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159