Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma

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Page 133
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मो० ॥६८॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | ॥ ११४ ॥ ततः सिाचलं गन्तु - मैवंस्ते मुनिपुङ्गवाः ॥ परं दर्षमुने|र्गात्रे वाता नवजा ॥ ११५ ॥ यशोमुनिं वैयावृत्त्य - कृते तत्र न्यवासयन् ॥ स्वयं च कान्तिमुनिना विजहुर्मोहनर्षयः ॥ ११६ ॥ वेदवाङ्कनूमाने वत्सरे राजपत्तने ॥ चतुर्दशीं चतुर्मासीमूषुस्ते | मुनिनायकाः ॥ ११७ ॥ गच्छन्तो नोयनीवासि-मल्लिनाथं च वर्त्मनि ॥ अभिवन्द्य तथान्यानि तीर्थान्यासेव्य भावतः ॥ ११८ ॥ तत्र तत्र | निवासेन कृत्वा धर्मपरान्नरान् ॥ क्रमात्सिाचलं दृष्ट्वा सिदार्थ जन्म | मेनिरे ॥ ११० ॥ एकोनशतयात्रास्ते पूर्वोद्दिष्टाः प्रचक्रिरे ॥ सुकृतो| दयतस्तत्र नान्तरायस्तु कोऽप्यभूत् ॥ १२० ॥ तदा कान्तिमुनिः | श्रीम-शुरूणां सेवयानिशम् ॥ समयं यापयामास वैयावृत्त्यं दि दुर्ल For Private and Personal Use Only स० ७ ॥६॥

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