Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma

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Page 132
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यतोऽस्य दीदावसरे ननन्र खिला जनाः ॥ ततो दर्षमुनि¥यानाम्नायमिति तेऽन्यधुः ॥ १०॥ अध्यब्धिनन्दनूमाने वैक्रमे वत्सरे शुने ॥ चैत्रे सिते तथाष्टम्यां ललौ दर्षमुनिव्रतम् ॥१०॥ यशःकान्ती लनेयातां सुकृतेः पूर्वसंचितेः ॥ दर्षः संगत तत्र यदि । तद्युक्तमेव तत् ॥११०॥ शिष्यत्रययुतास्तेऽथ संविग्ना मोहनर्षयः॥ विदरन्तः क्रमाजाज-नगरं समवाप्नुवन् ॥१११॥धर्मक्रियासु कुश लान् श्राक्षांस्तत्र विवेकिनः ॥ दृष्ट्वापरिमितं मोद-मासदंस्ते सुसंयताः॥११॥ दृष्ट्वा देवं गुणोपेतं श्रावकानिपुणांस्तथा ॥ रा|गिणामुपरोधं च वर्षावासं प्रपेदिरे॥११३ ॥ यथापूर्वमनूत्तत्र चतु सी निरत्यया॥ तपस्या विविधा यस्मा-तत्रत्यानां हि सा प्रिया For Private and Personal Use Only

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