Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma
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|नम् ॥ १२१ ॥ एकोनशतयात्रासु पूर्णास्वथ समन्ततः ॥ विहृत्य | वर्षावसतिं पुनः सि६ गिरौ व्यधुः ॥ १२२ ॥ सत्तीर्थसांनिध्यात्तत्र सद्गुरूणां च लानतः ॥ नविका बहवो जीवाश्चतुर्मासीं तदावसन् ॥ १२३ ॥ श्री मोहनमुखोद्भूतां सुधां श्रवणगोचराम् ॥ उपत्त्यकाया इष्टव्यं सिद्धिं दृक्सुधां तथा ॥ १२४ ॥ पिबन्तः श्रावका एकसुधापानान् दिवौकसः ॥ जहसुः सतीर्थगुर्वोः सेवया किं सुदुर्लनम् | ॥ १२५ ॥ महाव्रतनदीश्वङ्किधरणी मिते वत्सरे निषेव्य मुनिमोदनाङ्घ्रिकमलं मुदा जावुकाः ॥ यथासुखमयापयन्त्रतरताश्चतुर्मासकम् ऊटित्यघहरे तदा विमल गिर्युपान्त्ये पुरे ॥ १२६ ॥
१ अस्य पृथ्वी छंदः ।
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