Book Title: Mahavira Charit
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad

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Page 6
________________ म हा वी र च रित छट्टो प्रस्ताव अईम् [पृ०१ ] एकला फरता फरता श्री वीर भगवाने पूर्व उपार्जेल पापोना विनाश माटे अत्यार सुधी जे जे अनेक उपसर्गो सहन कर्या ते बधा क्रमपूर्वक आगळना प्रस्तावमां बतावाई गया. १. हवे गोशालक नामनो दुष्ट शिष्य ज्यारथी तेमनी साथे फरवा लाग्यो त्यारथी ते महाप्रभुने जे जे उपसर्गो थवाना छे ते बधाने आ छट्ठा प्रस्तावमां बताववाना छे. ते हकीकतने तमे बधा एकाग्रचित्ते सांभळो. २. हवे आगळ जणावाई गयेल थूणाग नामना संनिवेशथी नीकळीने गामे गाम फरता अने स्थाने स्थाने देवो वडे पूजाता तथा बोल्या वगर पण पोताना माहात्म्यने लीधे प्राणीओने प्रतिबोध आपता एवा भगवान वन-उद्यान अने पाणोथी भरेली दीर्घिकाओने लीधे रमणीय देखाता एवा राजगृह नगरे पहोंच्या. त्यां राजगृह नगरनी पासे ज घणा ऊँचा ऊँचा एवा हजारो प्रासादो जेमां आवेला छे एषो. नालन्द नामनो एक संनिवेश आवेल छे. ते संनिवेशमा अर्जुन नामे एक मोटो वर्णकर रहे छे. ए वणकरनी पासे धन अने सोनानी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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