Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas Author(s): Unknown Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 2
________________ - श्री केशरियाजी जै त के संग्रह करने की भाग्यवश वह भावना प्रार्थना, स्टन की माधुरी, भावपूर्ण तोत्रों का को प्रफुल्लित व आनंदित ___ बज उठते है । प्रार्थना में मस्त होकर अपने प्राप । एक दिव्य प्रानन्द का अनुसंयोजक ग्ध हो जाता है । फतहरू सिनेमा के विषैले वातावरण में कोमल रु, राजगुवकों का यदि कोई रक्षक हो सकता सुपरिनास्ते पर लगा सकता है, तो वह , केशरियाल वातावरण ही है। श्री जैन धर्मस्त संसार शांति चाहता है परन्तु अन्वे सक शस्त्रों का, बमों का हो रहा है। यह वीर संवत् २४७६ वरुनता है वरुद्धता है जो प्रात्मशांति चर्म तीर्थंकर श्री. चैत्र सुद १३८ ने दुनिया के सामने रक्खी जिसे महाल शुक्रवार को प्रदर्शित की तथा हमारे राष्ट्र पिता मा - जिसका मार्ग बताया वह शांति दिन प्रा त बनती जा रही है । सभ्य कहलाते, ....Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com فنجان نقاشان خفيفتين الشفاف نجا يعرفون समाजPage Navigation
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