Book Title: Mahabandho Part 4 Author(s): Bhutbali, Fulchandra Jain Shastri Publisher: Bharatiya Gyanpith View full book textPage 9
________________ महाबन्ध आ० और ता० प्रति के पाठभेद पं० आ० ता० ११ धुवबंधो अधुवबंधो आयु० धुव० आयु० ११ ४? ४ (?) १३ धुवबंधो पत्थि धुवभंगो णत्थि सामित्तस्स कच्चे सामित्तस्स कम्म ३ विवागदेसो पसत्थापसत्थपरूवणा विभा [पा] गदे सो पसत्थ (स्था) पसत्थपरूवणा ५ योगपंचयं । एवं णेदव्वं योगपंचयं णेदव्वं । एवं याव याव अणाहारए त्ति अणाहारएत्ति णेदव्वं। १ जीवविवाग० जीवविपाका १२ सव्वसंकिलिट्ठस्स० सव्वसंकिले (लि) स्स० ६ आयु० उक्क० अणुभा० कस्स ३! आयु० उक्क० अणु० वट्ठ० आयु० (?) उक्क० अणु० क०? ११ उवरिमगेवज्जा उपरिमके (गे) वज्जा १२ अण्ण अणु० (ण्ण०) ६ १५, १६ उक्क० वट्ट० उक्क० [अणुभाग०] वट्ठ० उक्क० वट्ट० उक्क० [अणु०] वट्ठ० ४ वणप्फदिपत्ते० वणफदिपत्ते० ६ गो० उक्क० अणु० कस्स० अण्ण० बादर० गोद० बादर० ८ उद्दिसदि उदिसदि ४ सागार-जा० जा (सा) गारजागा० ४ उक्कस्सअणुभा० वट्ट० उक्कस्स अणुभा० उक्क० वट्ट० ६ उवसमस्स उवसमयस्स १४ णqसगे णपुंसके०२ ६ संकिलि० वट्ट० संकिलि० उक्क० वट्ट० ६ परिवदमाण० परिपदमाण १ अण्ण० देवस्स० अण्ण० अण्णद० (?) देवस्स ६ घादि० ४ उक्क० अणुभा० कस्स? अण्ण० घादि० ४ अणु० क० ? अणु० (अण्ण०) १२ उवसमसंप० उवसमसुहमसंप० ८ अणुभा० कस्स० अणु० (क० ?) १२ उक्कस्सं समत्तं। ऊक्कस्स (स्स) समत्तं। ४ अण्ण० जहणियाए अपजत्तणिव्वत्तीए अणु० (ण्णद०) जहणियाए अपज्ज० णिव्वत्तीए णिव्वत्तेए (?) ७ तस० २-पंचमण तस० पंचमण १. ता० प्रति में यहाँ सर्वत्र विवाग पद के स्थान में विपाक पद है। २. ता० प्रति में प्रायः सर्वत्र णqसग पद के स्थान में णपुंसक पद उपलब्ध होता है। १८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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