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उत्तराध्पयन एकदा प्रस्तामा हावीर स्वामी विदारकर ताटचे पाय समो सरौति हो सालिराजा राज्य करें माहासा नपत्रः दुध लयुवराजा तेनी बनिज सोमती के पीलीत जानेय रणावीतिनो पुत्र मागिल कुमरए वेंतिं सालिराजा। श्री वीरनीदेसना सोनली वैराग्यपनेथ के महासालिलाई प्रतेक है बांध राज्यले मुकने दियान गतिवारें दल तो प्रादा सालक दिवा लागो । मा हेरें राज्य न षय नथी निमगृहस्थावा से तुम्हारी से बनाकर तौ (तिम दि लिइने सेवाक रिस्युं (बैकंपिलघु रथकी गांगिलनो जनैतेान्यति नै राजदे इदि ली थी । इग्यारेन्यंगनानाल दारऊवा अनुक्रमें विचरता श्री विश्वी प्रज्ञाले |टटचं पायें संसार पानवेदावानला गया। तिवारें भी वार गोतम स्वामी साथे मोकल्या/तिहांगां मिलकर मातापिता साथै प्रायोजिनोक्तक्वन सांजलवि सम्पन पनो (आयुलापुत्र राज्य देशमातापिता संघातं चारित्रला श्रतिम स्वी श्रीवीर दिवाजा तां सालिमा सालिने वाटे कनौजिनलोड सौजी वसंसारमा थकानं सख ध्यातांथां ज्ञानउपनो गांगि ना माय बाप | सालमा सालिनी प्रसंसा करतां आपलवेंचारि मानतो शुक्लध्यानध्यावता केवलज्ञो नऊवनों गोतम स्वोत्रिप्रणिदे श्रमावारनें वां 1श्रीपरषदा जावा लागा | गोत्तम खोजी कोहशिष्य नरे प्रावीश्री माहानी रनें वां दिया श्रीवीरें मत करे यांचे के ब्जीऊ प्रतिसांगोतम सोमामिलामिक देश चिंतयौन जीवजिंसनेंदि उतेहने के वलज्ञान पंजे जिनेन विमानांवर वचनसांचल्यो। गाया | उस हस्त तर चिउली । नियड कपयायसनिग य जसस्स जो आरुढं वंदए| चरमसरी रोयं सो साझा जेतयोलटकरी अष्टापदे वढी रुषन जिन हर गंदे तते जनमुक्तियां गोस्वामी अष्टापद नीयात्रा नामनोरथ मनमा धेरै तेत लेंगतयात्रानो आदेश दियो उं
तापवाल्या जिन वचन पूर्व सौ साल अनेको डिन्न दिन्नसेवाल ना पाए त्रिविधनुष्य तापस के काने ५० नौ समदाय। तेस मिली १५० वो बिताना पहिलो को मिन्नतेवर संघते एकांत उपवास करी आलीयेनी लाल कंदमूलफूलते महारी पहिलीमे जायेंग योजिदिनऊ