Book Title: Lokashaha ki Hundi
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 407
________________ तीर्थंकरदेव जितेनारहीन काय मिति जाली जधन्यवाद तेजलीनार की मां पूरी नारकी कम्यिितकहियेऊनी जाये कालोनी म विधि न्योत चतकाल तमुत्व रस करस संस्थानना आदेशका विध्न कारे की दि याांदिया दिया। सतिसिकाय विहितु की सियाल विजर्ट किस का एक वायलीनर को श्री काया नारकी नेवली अंतर-आंतरी एलोई नारकी नाका ५ दिजेति जान ९७ दिड मिनेरइया उच्तरोद6 एए सिवन्त चैव धनं रस कान से हाल देवाविदिहा विप्रकारे कला तेहती है एक संपूर्विप्रतिरथंचते हमें बजाज तिचते ह मनी वर्यासिन पनि सगाई ६) लाईसद्स्सस करें चिंदियतिरिरहा वहाते दिया दिया। समुमितिरिरका गजवक्क नितेने मनासमज नियंनिकसाते जलचरमादिक तेलमा काजिललेख वरंखी तेजल बरजीवना यही इं नवरा काम मोरमुले व्यहोशांजलि लेवलचर समुभिगर्जन लड ७० निप्रकारे लियात हा ७६ विरुक्ति न वेतिविका (उलेय ग्यलय तह खत्य राय बोध हा ति सिले ए ७९ मुककप्रत १९ एकमाला प्रकरमोट नीजातपांली जातिविशेष माहिर हे काळजात क जीवीह रहे | समासामाचारी जीवनी जातितेजा एम यांचे वेदे जलचरजीव कसा तीजा भी ती करें सुलेमेरमा रुन्चलाया गाहा मगरात ७२ लोक चउद् एज एकदेशवि परंन छास घुले दउदरराजने दिये । एतेला अनंतर जलचरने काल कहकर ने कहवासादि जानेंदिजलवर ने एह बोकोन करें नो विभाग विध सपर्यवसितमनादि य ७२ संतएगदे से सबेन सच्च्च विया दिया। ते मिळुच हि इसे काल विद्यामं समाराय बोधबा पंचाऊलय राहिया संतत प्रा मार्गमा तिवारेज असेल ईनादिकाले

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