Book Title: Lokashaha ki Hundi
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 413
________________ Sea देवलो ने कल्पनेंअतिक्रमी वर्तन कप्पती कनादेव देवानां प्रत्तर दि देवतातिमज कल्पदेवलोककथनाते देवताना सोमदेव सालोकनासका पाहून लोक ना लोकनादेव मातामूल करप्रकारका ता तार देवना दिवलोकना देवता बोधना कप्पा यात देवयानको नुगाबारसह | सो हम्मी साल गात हा से एक प्रारमा दि ब्रह्मदेवलोक तक देवलोक ना शुक्र देवतो सहसारदेव तो मानतदेवतो प्रालं तदेवलोक परलदेवलो अमुतदेवलोकमा एलें देवता एक नादेवता देवता ताकना देता देवता देता देवता कविता दली ॥ बंल लोगा लंतगाल महमुद्दामहस्सारो माल यायालयात प्रारणायादेव (ईई देिवलेोकना वासी मुरदेवता कल्यातीतन देयकादिकना निरितेसाती करेलो करूपने ग्रीवाकोटसमानये तेथे श्वेयक देवतानव वैयकतेन देवताजे की उत्तर प्रधानदिसिप्रासुखादिक प्रकारे नव खे जेवता जालना अनुरबासी देवता कप्पो नगारा कप्पाई यायऊं देवा | डबिया तेवियाहिया नेवि पुत्तरम्वेन गेविधान देवियानामपेदा ऊ परिलो एतले मध्यविचाला नात्रि देवताउ की अपेक्षा लोएहनें मि प्राते दि महि २९ देविला लोनदा विलानी अशामध्य पहिलो यक तेहना देवता वविद्वान हिमादिमाचेव हि हिमाम शिमाल हा दितिमान वरिमाचैव प्रझिमा हिम्मति मध्य मध्यउपर लोएन उपर यात्रिकाच्या हे ऊपरिपात्रिक दिवता (ए) ऐटिमध्यक्तिले एनजे पद होय कृते नदिदा एतले सात प्राग्रैवेयकले नादेव शाइमध्यविचालानो रुविमात्तदा रश्मझिमाम सिमादेवमझिमाउ वरिमाता उदरिमादिद्धि माचेव उदरिमा मि एक जा तमयैवेय - ऊपरियात्रिकुनीश्रा पर कदेवता लोएत ले नवयक तेस्नादेवता 'जयंत नाम जो जयतामा प्रराजित नामा नर विमान पहिले मनुज्ञाते प्रतरविमान बेहनादेवता नादेन ता मानते नादेव तनादेवता ४ मानव रिमान वरिमाचेव इगेदिऊगासरा विजया विजयंताय जयतामपराजिया प्रकारे वेयक र नासुर विजयनामा देवताका

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