Book Title: Lokashaha ki Hundi
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 399
________________ ogg लोकच उदाजमा जोक उद्रा जने एकें दे सेंविना हवामा बाटामा लोक हिस्साद अनादि प्रपर्यवसित ४९६ चार प्रकार दिकाल काय स उति सिवु वृद्विप्पलाइ मनें अनतिकाय की कथि कैं बीजे सब लोग मिलोगेट सेट नाटय राइतो कालवा पर्यवसितप्रेत पुनही सदा दितिमाऊली सादिपु अजिन नास्तितिका अद्वितिमा १९ त्रिलय होरात्रि एतले दिन पूरा उनीहर यायाव सियाविय विशेष साया साथ नसिया विचारशत्तिलेको रत्ता को उत्कृष्टतो ती माऊया नीतिकायन अंतधन्यो तो नवसका आनी मावे ९७ करें लगे सेल दिया दिया माउ चिऊ कहिये ते काय द्वितिकायने एती अग्रिकायन के सी एल लौ कालर है तो १४ नंतकाल नोतरे टोलोन वसप्रय था मारंनी मावे विद्यते संत ज मोत असंख्यात काष्टीयनव अधिमाथि समय की मावि बेघमाज में मरी अभिमा रहेका कालमुताि के योनि का ये सरिरिश्ते का ना जीवनेवल तोतरो एसई मिसएका एतिकडी दा म प्रतेक कार्य प्रांत कालो || एप्रिकाश्यमाङ्घ्रिकी मंत्री की रिकी संस्थानना आदेशको पुल विधानकी दिन Mart 7 s विवेकासी संवाद विलास दस्म सोद् दरजे वायु काम ५७ नाजीवादतर विप्रकारें बाऊ कायनाजीवतेद्कलन बाऊ कायनाजी नेमली एकमा बीजा एमए के के बिऊंप्रकारे जालिवा बली जलवा भी जाबाद व काय नाज विदा वार्ड जीवानीमुमा बायरातयतामयज्ञा एव मे एकदा पुणे राय राजेज

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