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करुतिवारें कमी जेना ऊ लेगो में कोइ मुंडन होइननाधररावयवे तो बेटो जानेबे राजा घर उत्तराध्यय सेवक प्रोक्त्या जिहनें जायें ते सर्व क है। मां हरेवा पुत्रादिमुं
नवः ९०
मरणान्या बेतिएषुतौ कि नमि नजाया नपुं
तिकी कतरा सिद्धांत है इस कसौधन साजाइनसा जलीलापुत्रनो हारी सख्यलोच दारांमा जेल हरीया प्रवर रुपयस्विरक है। आठवाने अंते सर्वजीरमरणमा एकाजकृतांत मुकनेंइमक है तो चिंतामक रिस गरेक सोऊंन कर
कस्वां प्रीजन सर्व नितंगलं नतंडलं । तिनयरा संसार नोख अहो राजाज कौन निवारेंद्रश
देवदानवनजो
शिरोघा ते शोके
सकलौता हा सावजा र पत्र | अष्टापदनी बाईमै मरणयां भ्याए दौसानी मूर्बितविलायक रिवाला सनासकंदराष्ट्र तेरवाला गौ गाथा | उमतियंहिता यी पाचमध्यमा। अधमाघ तेत लेते ब्राह्लक है। स्वामजिउत्तमवैति कहिनौ त्यसो तिलैते निजेमध्यमपुरुषबैसोयात करे यमस्तस् उपदेशदे
मक है। अपारवा
आस्फाले जेविवेक बेंते शोक निवर्त्तावचा विसेषधासमाचरें शहाराजाप्रतेक है। स्वामी मू तो तोते प्राजगाम वाट कायकरें मा पुरुष बेंतिरोगसोग ऊपनंदीन पलुन सारक्वनक महाराजाने स्वस्तिचित्रकी है। पुत्रनामरण नोटतंग्त सगलो सामंतेक से बैकटक सर्वपाप्रामोरा जामृत्य करी सगर स्वस्थ चित्तथयौ तिवै-अष्टपदनानिवासिलोक-चक्रवर्त्तिनंदीन गंगाना प्राथ की लोकरूपमें तिवारेंज कुमार ने बेटी नागीरथुतिरुक उम्हेज गंगानारूपा वालो |पबैकर कटक ले अष्टापदे गयौ । प्रकरी नागराजा आता लाल चावी ऊमर नेक है। जो इयेते मोगति ऊमर प्रेम करा कहै। जोमारुं आदेस(ऊ तो मानो प्रवाह जो करें ये तेले समुद्र तिवारे नागयति से जिम्मुष विनिमकरै तिरा रैबल बुजा करी गंगासागर संगमका से तिरंगंगासागर संगमती लागी रथेाली तीवारे लागीरथी करुवाली जनऊ मरें गंगा ओलीत स्थाजं होना कहोली तिवारपनी ऊमस्नागीरथ अजोध्या आया।