Book Title: Lokashaha ki Hundi
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 380
________________ मनहरें विश्रामसहितया सिउ ग माझें करा ऊजला एसके घर शन क उपाश्रयादिक मनें कराने 'सहित जिग अने अगरा हामी चारित्रयो उत्तराः एमोदरं चित्र रोमधूनेलवासियां । सकामं परुलोय मल सादिनछ५४ १९० कार की इंडिया चैसाक चारित्रयाना सापाश्रय दोहिला निवारिवादयते कामसंबंधीयारागत नो वरण रहे कि मसानने 1 वि चल आपापली खानसारोउायनोविशेषणचित्रा घरने विषे निवारे कामरागविवो साये सु हिया लिनु तिरकुस्मा रिमिवरम के नादिरहित को कानो दिना जति निराने प्रान् हारजिता मकरहित एका ति वसिनोर हिदेहि स्मशानादिक वरिष्ट स्वोतान ने विषसम्ववें चारित्रायो नगरवारिक मुले व एमडी पर कोयर का वासंतञ्चा निरोय ||फायमित्रप्रण जिहां स्त्री ही एतले जति पूर्वेकमज्ञानमादिकति चरित्र यो परम सेऊ तमोठ् जाते हरेक पारके कङ्क्षिता पर देते स्थान ली जिखि कारणयोतिराव नो अथर ا बादे णिनि हुए। तचकव्यरवा से लि कुपरमसंडा एनसाइक विक यह पुलक एवेंन होती जी टिकरापारी पोलीदिए केंदियादिकनोदाबे जानु की अनुमोदनह रवाना कार्यना समास्वनैदिप्रत्यक्ष २६ मा जीवनोत्रयादिकन मादरथिनी आदिका रिना धूली नेवलेहिकारए | जिर्दिक समारं तयादिस्सएको सारा मु धमनीविना कारण का धरना सा चारित्रियान्प्रतिसय स्पै दिवेंच्या हारनीविधिक कहेगे। केोतेयचिवानविरल बादरजीमोटामो समारं बजे तिमीविलानें विरण मा बायरालय सम्हागिसमारंभी संजनयविएशन देवनत्तयाणे सुपयले पया

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