Book Title: Kya Swad Hai Zindagi ka
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 12
________________ रही थी, वही आज अगर क्रोध करने लगी तो दुःख क्यों हो रहा है? दरअसल सुख पत्नी से नहीं बल्कि उसके व्यवहार से था और वही व्यवहार बदला तो पत्नी दु:खदायी हो गई। सुविधाओं में सुख कहाँ देखिए आप सुखी और दुःखी कैसे होते हैं? आप एक मकान में रहते हैं, जिसके दोनों ओर भी मकान हैं। एक मकान आपके मकान से ऊँचा और भव्य है तथा दूसरा मकान आपके मकान से छोटा और झोंपड़ीनुमा है। आप घर से बाहर निकलते हैं और जब भी आलीशान कोठी को देखते हैं , आप दुःखी हो जाते हैं और जब झोंपड़ी को देखते हैं तो सुखी हो जाते हैं। भव्य इमारत को देखकर मन में विचार आता है, ईर्ष्या जगती है-यह मुझसे ज्यादा सुखी, जब तक मैं भी ऐसा तीन मंजिला मकान न बना लूँ तब तक सुखी न हो सकूँगा। लेकिन जैसे ही झोंपड़ी को देखते हैं, तो सुखी हो जाते हैं, क्योंकि आपको लगता है कि यह तो आपसे अधिक दुःखी है। प्रकृति की व्यवस्थाएँ तो सबके लिए समान हैं, लेकिन प्रायः स्वयं के अन्तर्कलह के कारण ही व्यक्ति दुःखी हो जाता है। जैसे कि आपने लॉटरी का टिकिट खरीदा। लॉटरी खुली और आपने अखबार में देखा कि उसमें वे ही नंबर छपे हैं जो आपके टिकिट पर हैं। आपकी तो किस्मत ही खल गई, आपने प्रसन्न होकर घर में बताया कि पाँच लाख की लॉटरी खुली है। सब बहुत खुश हैं। प्रसन्नता के मारे आपने एक अच्छी-सी पार्टी का आयोजन भी कर डाला। मित्र आए, ऊपरी मन से आपको बधाइयाँ भी मिली, अंदर से तो उन्हें डाह हो रही थी लॉटरी तो उन्होंने भी खरीदी थी, पर इसके कैसे खुल गई। खैर, रात में जब सोने लगे तो विचार आया कि इस इनामी राशि को कैसे खर्च किया जाए? सोचा कि एक कार ही ले ली जाए । तभी दूसरे विचार ने जोर मारा कि दो लाख रुपये जमा करा दिए जाएँ, ताकि भविष्य सुरक्षित रहेगा। इसी 11 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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