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सुरवी जीवन का राज स्वयं को उस सरोवर और तरुवर की तरह बनाइये, जो हर हाल में दूसरों को भी सुख, शांति और मधुर फल दे।
प्रत्येक मनुष्य के अन्तर्मन में यह कामना होती है कि वह अपने जीवन में अधिकतम खुशियाँ बटोर ले । प्रार्थना से पूजा तक और व्यवसाय से भोजन-व्यवस्था तक उसके द्वारा जितने भी कार्य किये जाते हैं, वे सभी जीवन में सुख और खुशियाँ उपलब्ध करने से ही संबंधित होते हैं। मनुष्य जन्म से मृत्यु तक सदा इसी चेष्टा में रहता है कि जीवन में अधिकाधिक सुविधाओं को कैसे उपलब्ध किया जा सके? व्यक्ति यह नहीं जानता कि उसे भाग्य के द्वारा सुविधाएँ तो उपलब्ध हो सकती हैं, परन्तु जीवन को सुख-शांति पूर्वक खुशियों से भरकर जीना व्यक्ति के स्वयं के हाथ में है । यद्यपि हम जीवन को सुखपूर्वक जीना चाहते हैं तथापि हम ऐसे कार्य नहीं कर पाते, जिनसे जीवन को प्रसन्नतापूर्वक जिया जा सके । हम भली-भाँति जानते हैं कि समस्त सुविधाओं के बावजूद व्यक्ति अपने ही कुछ कृत्यों के कारण सुख से वंचित रह जाता है। सुविधाएँ सुख का मापदंड नहीं हो सकती हैं हम जिसे सुविधाओं के आधार पर सुखी महसूस कर रहे हैं संभव है, वह मानसिक रूप से दुःखी हो। सच्चाई तो
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