Book Title: Kumbhojgiri Jain Shwetambar Tirth Shatabdi Mahotsava Granth
Author(s): Kubhojgiri Tirth Committee Kolhapur
Publisher: Kumbhojgiri Tirth Committee Kolhapur
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प पू पन्यासप्रवर स्व. तिलकविजयजी गणिवर्य
प. पू. पंन्यासप्रवर रंजन वि. गणिवर्य
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......
५
श्री तिलक वि. गणिवर्यना समागमथी जैन शासननी आराधना करवा माटे सवेगी दीक्षा लेवा तयार यया, अने पोताना ज्ञानक्षेत्रमा दीक्षा ग्रहण करी, ते गुरुदेवना शिष्य वन्या तेमनु मुनिश्री रजन विजयजी नाम पाइवामा आव्यु, __ज्ञान अने सयममा आगळ वधता सधनी विनतीथी, तेओश्रीनी योग्यता जोई प पू आचार्यदेव श्रीमद् विजय शातिचंद्र सूरीश्वरजी म. श्री ए तेमने पन्यासपद आप्यु दीक्षा पर्यायना वत्रीस वर्षमा
पूज्यश्रीए राजस्थान, गुजरात, सौराष्ट्र अने ( प. प. रजन वि गणिवर्य याचे तारक गुरुदेव.) महाराष्ट्रमा विहार करी शासन मालवाडा (राजस्थानमा) पिताश्री चिमण- प्रभावना साथे गिप्यसमुदायमा पण वधारा लालभाई अने माताजी नवलवेननी रत्नकुक्षिए । कर्यो जेमा पू मुनिश्री भद्रानद वि. म. जेवा पूज्यश्रीनो जन्म म. १९७३ पौष्य वद ८ मगळ
ज्योतिप शास्त्र निपुण शिप्य छे तेमज पू वार दि १६-१-१९१७ दिने थयो तेओश्रीनु
सुयश वि. तथा पू राजेश वि म आदि तेमनी शुभ नाम रतनचदभाई हत
शिष्यवर्ग छे ___ मातापिताना सुसस्कारो बालपणथीज मळता होबाथी, व्यवहारिक अभ्यास करी धार्मिक पूज्यश्रीनी निश्रामा प्रतिष्ठा, शातिनास्त्र, शिक्षण लेवामाटे शेठ वेणीचद सुरचद स्थापित पाठशाळा, आयविल खातु उपधान, धार्मिक श्री यगोविजयजी जैन सस्कृत पाठशाळा महे- शिक्षण शिविर, दीक्षा तेमज मासक्षमण, दोढसाणामा तेओश्री दाखल थया त्यानु धार्मिक । मासी जेवी महान तपश्चर्याओ सारी सख्यामा वातावरण तथा गुरुवर्य श्री हीर वि महा- थइ छ ए माटे तेओधी पोताना तारक गुरुदेवराजना मिष्यरत्न प पू अनुयोगाचार्य प नोज उपकार तथा कृपा माने छे
२६ ]
[श्रीकृभोजगिरी शताब्दी महोत्सव

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