Book Title: Kumbhojgiri Jain Shwetambar Tirth Shatabdi Mahotsava Granth
Author(s): Kubhojgiri Tirth Committee Kolhapur
Publisher: Kumbhojgiri Tirth Committee Kolhapur

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Page 47
________________ करतो पाणीनो प्रवाह वनी मोटो सागर थई जाय छे, बने ज्या पाणीनो पारावार छे त्या भव्य आलीशान महेलोथी मडित मोटी नगरीओ वसी जाय छे कालपखी रातदिन पाखोथी प्रकृतीना गगनमा अविरत गमन करीज रहयु होय छे आ दरमियान छाणीमा जैनोनी सख्यानो वधारो थतो गयो गामनी उन्नति थवा माडी अने वि स १९४४ मा कोठारी तलामा श्री कुथुनाथ भगवाननी प्रतिष्ठा, विस १९५१ शुभ सवते श्री शान्तिनाथ भगवाननी प्रतिष्ठा अने विस २०२० नी मगल सालमा वर्तमान शासनपति श्री महावीर प्रभूनी प्रतिष्ठा सगमरमरनी भव्य देवकुलिकामा, मघना अनेरा उल्हास अने उत्साह - माथे, शामननी अपूर्व प्रभावना साथे त्रणेय मदिरोनी प्रतिष्ठा थएल आजे पण अहिना भावुक सघनी स्व-घरनी अप्ट प्रकारी पूजानी सामग्री सहित जिनेन्द्र पूजानी भक्ति जोनारने जाणं साक्षात् आपणे तीर्थधाममाज न आव्या होय एवो भास थई जाय छे वाचक, कोई वखत आ गामनी यात्रानो लाभ मेळवशे त्यारे सहज अनुभव प्राप्त करशे लेखक वधु शु आलेख शके ? जिन मदिरोनी जेम अहि सम्यक् ज्ञान-भागीरथीने वहावती हजारो हस्तलिखित तेमज मुद्रित, प्राचीन अने अर्वाचीन प्रतो, पुस्तकोथी अत्यत शोभनिक श्री सघनु ज्ञानमंदिर छे अने वीजु पू शासन प्रभावक आचार्यदेव विजय भुवनतिलकसूरी महाराज संग्रहित 'श्री लब्धि भुवन जैन साहित्य सदन' पण अज्ञान तिमिरथी श्री कुंभोजगिरी शताब्दि महोत्सव ] अथाता भव- मुसाफरने दिवादाडी समान दिपी रहयु छे दर्शन - ज्ञानथी समलकृत गामनी एक विशिष्टता एवी छे के, प्राये करीबे अहि जैनोना साठ घरो छे, तेमाथी एक पण घर एवु नहि म के, जे घरमाथी कोइ पुण्ववत भाई या व्हेने सयम न स्वीकार्य होय । जाणे अहि घर-घर सयमनी मधुर झालरीज बागी रही छे, जेना कारणे वडोदरा नरेश श्रीमत सरकार सयाजीराव गायकवाडे आ गामने Mine of Diksha 'सयमनी खाण ' एवा सुदर नामथी बिरदाव्यु अत्रे पू आ सिद्धिसूरीश्वरजी म. पू आ कमलसूरीश्वरजी म पू आ सागरानदसूरीश्वरजी म, पू आ विजयमोहनसूरीश्वरजी म पू आ दानसूरीश्वरजी म पू आ लब्धिसूरीवरजी म पू आ प्रेमसूरीश्वरजी म पू आ वल्लभसूरीश्वरजीम आदि पुण्यश्लोक महात्माओ पुनीत पादार्पण करीने, चातुर्मासोनो अनुपम लाभ आपीने, अनेक भाविकोना अतरमा श्री वीर वाणी-सुधानु पान करावीने, अजन गलाका, प्रतिष्ठा, उपधान, उद्यापन, प्रभु वचन प्रत्ये चोलमजिठ अनुपम श्रध्धा, अनेकोने सयम प्रति बहुमान, गुरुसेवानी सतत लगन आदि अनेक शासन उद्योतना कार्यो करवा, कराववाना 'सो' 'सो' दीपकोनी ज्योत प्रगटावी हती जेना सुमधुर फलो जेवा के, छाणी सघना विद्यमान लगभग एक सो साधु साध्वी संयम मार्गनी अनुपम आराधना करचा साथे अनेकोने धर्म मार्गना भोमिया वनी शासन समर्पित बनी पृथ्वीतल उपर विचरी रह्या छे | १२३

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