Book Title: Kumbhojgiri Jain Shwetambar Tirth Shatabdi Mahotsava Granth
Author(s): Kubhojgiri Tirth Committee Kolhapur
Publisher: Kumbhojgiri Tirth Committee Kolhapur

View full book text
Previous | Next

Page 59
________________ मस्थमात्रनो प्रथम धर्म छे जेने नमवामा आधीनता अने आश्रीततानो भाव सदा जागृत आवे तेनी उच्चतानो अने पोतानी जातनी लघु- राखे छे अने एमना हितोपदेश प्रत्ये आदरतानो भाव कायम टकावी राखवा माटे योग्यने बहुमाननो भाव टकावी राखे छे तेथी नमवानी परम आवश्यकता छे वारवारनो ए नमस्कारने सौथी प्रथम धर्म कहेवाय छे अने नमस्कार नम्रता अने पराधीनताने पुष्ट करे छे बीजा सर्व धर्मनु पण ते मूळ छे एम स्पष्टपणे जेना प्रत्ये आपणे नम्र अने आधीन बनीए समजी गकाय छे छिए, ते आपणा हित माटे शु कहे छे, ते जाण मंत्रना अनेक अर्थ : वानी जिज्ञासा जागे छे, अने तेमनी हितकारी । आज्ञाने जीवनमा जीवननु बळ पण प्राप्त - नमस्कार ए मत्र छ मत्रना अनेक अर्थ छे थाय छे मत्र एटले गुहयभाषण (Silent Talk) मत्र एटले आमत्रण जेने नमवामा आवे छे, तेने हृदय नमस्कार ए सर्व धर्मनुं मूळ : 'प्रदेशमा पधारवानु निमत्रण मत्र एटले मननु जे बालक पोतान वडीलो प्रत्ये नम्र अने। रक्षण मत्रना वर्णोवडे मत्रनु सकल्प-विकल्पोथी पराधीन वृत्तीवालो होय छे, ते तेमना आदेशोने रक्षण थाय छे मत्र एटले विशिष्ट मनन अने ते अनुसरी शके छ, अने तेथी पोताना विकासने वडे तथु जीवन रक्षण विशिष्ट मनन सम्यगज्ञाननु साधी शके छे ए माटे नमस्कार ए विकासन साधन वने छे अने सम्यगज्ञान शभभाव जगाडी परम साधन छे नानपणथीज बालकने माता- जीवन रक्षण करे छे अयोग्य मार्गे जता जीवने पिताने प्रणाम आदि करवान शिखववामा आव्यु रोकी योग्य मार्गे चढावे छे होय, तो तेथी तेना मन उपर पूज्यतानो भाव ___ सम्यग्जान-दर्शन-चरित्रमा रहेवु ते योग्य टकी रहे छे आ रोते लोकमा के लोकोत्तरमा मार्ग छे अने मिथ्याज्ञान-दर्शन-चारित्र्यमा नमस्कार ए सीथी प्रथम धर्म छे ज्या सुधी रहेवु ते अयोग्य मार्ग छे मत्र मिथ्या रत्नपूर्ण ज्ञानी न बनाय, त्या सुधी पूर्ण ज्ञानीने अने. त्रयीमाथी जीवने छोडावी सम्यग् रत्नत्रयी तरफ एमना स्वरूप तथा उपदेशने समजावनार ज्ञानी लइ जाय छे, तेथी ते मनन वडे रक्षण करनार एवा गुरुने आश्रये रहेवुज जोइए अने ए माटे छे, एम साबित थाय छे वारवार नमस्कारनो आश्रय लेवोज पडे वारवारनो ए नमस्कार आपणा मनपर देवगुरुनी श्री कुभोजगिरी शतादि महोत्सव ] [ १७३

Loading...

Page Navigation
1 ... 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82