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खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास
स्वकथ्य
विषय सूची भूमिका
[- XVIII
IXI - XLIV विवरण
पृष्टांक खरतरगच्छालङ्कार युगप्रधानाचार्य-गुर्वावलि :
१ - २०८ ० मङ्गलाचरण (पृष्ठ १), ० आचार्य श्री वर्धमानसूरि (१), ० आचार्य श्री जिनेश्वरसूरि (२), ० आचार्य श्री जिनचन्द्रसूरि (१४),. ० नवाङ्गी-टीकाकार श्री अभयदेवसूरि (१४), ० आचार्य श्री जिनवल्लभसूरि (२१), ० युगप्रधान श्री जिनदत्तसूरि (४०), ० मणिधारी श्री जिनचन्द्रसूरि (५४), ० युगप्रवरागम श्री जिनपतिसूरि (६२),आचार्य श्री जिनेश्वरसूरि - द्वितीय (१२४),0 आचार्य श्री जिनप्रबोध सूरि (१३९), 0 कलिकालकेवली श्री जिनचन्द्रसूरि (१४९), ० युगप्रधान श्री जिनकुशसूरि (१६८),० आचार्य श्री जिनपद्मसूरि (२०२) ।।
खरतरगच्छपट्टावल्यादिसंग्रह :
२०९ - २५९ o आचार्य श्री जिनलब्धिसूरि (२०९), आचार्य श्री जिनचन्द्रसूरि (२१०), 0 आचार्य श्री जिनोदयसूरि (२११),० आचार्य श्री जिनराजसूरि - प्रथम (२१५), आचार्य श्री जिनभद्रसूरि (२१६),० आचार्य श्री जिनचन्द्रसूरि (२१९), आचार्य श्री जिनसमुद्रसूरि (२१९), 0 आचार्य श्री जिनहंससूरि (२२०),० आचार्य श्री जिनमाणिक्यसूरि (२२१), ० युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरि (२२३),० आचार्य श्री जिनसिंहसूरि (२३३), 0 आचार्य श्री जिनराजसूरि - द्वितीय (२३५), आचार्य श्री जिनरत्नसूरि (२३७), ० आचार्य श्री जिनचन्द्रसूरि (२३८), 0 आचार्य श्री जिनसुखसूरि (२३९), आचार्य श्री जिनभक्तिसूरि (२४०),० आचार्य श्री जिनलाभसूरि (२४२),0 आचार्य श्री जिनचन्द्रसूरि (२४५),० आचार्य श्री जिनहर्षसूरि (२४६), o आचार्य श्री जिनसौभाग्यसूरि (२४७), आचार्य श्री जिनहंससूरि (२५२),० आचार्य श्री जिनचन्द्रसूरि (२५५), आचार्य श्री जिनकीर्तिसूरि (२५५), आचार्य श्री जिनचारित्रसूरि (२५५),० आचार्य श्री जिनविजयेन्द्रसूरि (२५७), ० श्रीपूज्य श्री जिनचन्द्रसूरि (२५९) ।। खरतरगच्छ की शाखाओं का इतिहास
२६० - ३२६ ० १. मधुकर शाखा (२६०), ० २. रुद्रपल्लीय शाखा (२६१),
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