Book Title: Katantra Vyakaranam Part 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 410
________________ ८५. तवैषा ८६. तवोहनम् तवादनम् तस्मा आसनम् १०६. देवा गताः १०७. देवायाहुः १०८. देवीगृहम् १०९. धूः पतिः ११०. धूर्पतिः १११. नदीहते ११२. नद्येषा ११३. नयति ११४. नायकः ११५. नो अत्र ११६. पचन्नत्र ११७. पट इह २४५ ११८. पटविह २४५ ११९. पटवोतुः २४२ १२०. पटुरत्र २४२ १२१. पटुर्वदति २४५ १२२. पटू इनौ २४५ १२३. पटोऽत्र १०२. दण्डाग्रम् १२८ १२४. पितरत्र १०३. दधीदम् १२८ १२५. पितर्यातः १०४. दध्यत्र १५१ १२६. पितृषभः १०५. देवा आहुः २६४, २८२ १२७. पित्रर्थः ८७. ८८. ८९. ९०. तस्मायासनम् तिष्ठ भो यज्ञदत्त इह तेऽत्र परिशिष्टम् - २ ९१. ९२. त्रिष्टुप्छ्रुतम् ९३. त्रिष्टुपश्रुतम् ९४. त्रिष्टुमिनोति ९५. त्रिष्टुम्मिनोति ९६. त्वं करोषि ९७. त्वं चरसि ९८. त्वं यासि ९९. त्वं रमसे १००. त्वङ्करोषि १०१. त्वञ्चरसि १४१ १३२ १४६ १६७ १६७ १९३ १७१ २०४ २०४ २०१ २०१ ३२३ २६६ २६४ १७५ २७३ २७३ १२८ १५१ १५६ १५८ १८१ २१९ १६७ १६७ १५८ २६९ २६९ १८८ १७१ २७४ २७४ १२८ १५३

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