Book Title: Katantra Vyakaranam Part 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 427
________________ ३४० कातन्त्रव्याकरणम् २४९ ० ८६. परोक्षम् पारस्करः पिशाचः ८९. पूर्वादयः ९०. पृषोदरः प्रचेताः प्रत्यभिज्ञा ९३. प्रत्यवस्था ९४. प्रदेशः १८ ३१९ Tilitriinit १९ प्रस्कण्वः १७ १०१ ३२० | ११०. लक्षणम् २४९ / १११. लुलापः ३१९ ११२. वचनम् ११३. वर्णः ११४. वर्णाः ११५. वाक् ११६. वाग्वादः ११७. वाचनिकम् ११८. विधानम् २४९, ३१७ ११९. विधायि १२०. विभक्त्यन्तम् १२१. विभागः १२२. विसर्जनीयः २४९, १२३. विस्किरः १२४. वीप्सा १२५. वृत्तिः ३१९ | १२६. वृषी ३१९ | १२७. वैपाशम् २४९, ३१५ / १२८. वैपाश्यः १२९. व्यक्त्यर्थम् १३०. व्यञ्जनम् | १३१. व्यञ्जनानि ९८, ३०९ / १३२. व्यवच्छेदकत्वम् २४९ / १३३. व्याख्यानम् ३१९ ९९. २४९ २८६ ३१४ ९६. प्रेक्षावन्तः ९७. बलाहकः ९८. बाड्वलिः बृहस्पतिः १००. भावः १०१. मध्यन्दिनम् १०२. मयूरः १०३. मरुत्तः १०४. मस्करः १०५. मस्करी १०६. मार्गम् १०७. यथाप्रज्ञम् १०८. योगवाहाः १०९. रथस्पाः ३२० २०१, २०२ २०१, २०२ १४७ . १०८ ११ TTT

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