Book Title: Kartikeyanupreksha
Author(s): Kumar Swami
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 556
________________ गाथा - कत्तिोयागुप्पेश्यागाथा गाथा एसो दहप्पयारो धम्मो ४३१ एमो बारसमेओ ३६६ Y८८ उसममाणपहानो उसमधम्मेण जुदो होदि उत्तमपत्तपिसेसे उपवास कुम्वतो भारंभ उपवासं कुख्याको आरम उपसपिणिअवम्पिणि उपसमणो अवाज उबसममावतवा उस्सासद्वारसमे भागे ११ 0 ४३९ ! - 4 '५३ २२३ कर्म कि पिम साहदि ४४२ कस्य बिण रमहलकली का पमुरा भावणया १०५ [ कर्म पुर्ण पावं हे कम्माण णिमारलु आहार कस्स वि अस्थि कला फस्स नि तुकलन कारणका बिसेसा कालाइसद्धिजुना का विड़वा दीसदि किश्चा देसपमाणं कि जीवदया धम्मो कि बहुणा उमेण य केवलणाणसहायो कोण वसो इथिजणे कोहेण जो तप्पदि NA ४१ २५२ १४० ३९४ २२६ एईदिएभाषदो एक चयदि सरीरे एक पि बिरारंभ उदबास एक विवयं विमल एके काले एक गाणं एगादिगिहपमाणं एदे दहप्पयारा पार्च एदे मोडयभावा जो एदे संबाहेदू विधारमाणो एयवखे यदु पाणा एपम्मि भने एके एवं पुशु दवं एवं भजाइकाले एवं संसरणं एवं जागतो बिहु एवं जो आनिता एवं ओ जिरछयदो एवं पंचपयार अणत्थ एवं पेच्छतो चि हु एवं बहुप्पयार दुक्खं एवं वाहिरवलं जाणदि एवं मायगदीए एवं लोबसहाय एवं बिबिगाएहिं एवंविहं वि देह एवंम असारे संसारे खरभायपंकभाए खरगो व खीणमोहो ३१० ३७४ गिहदि मुंचदि जीवो गिहयावार चत्ता रति गुत्ती जोगणिरोहो मुसी समिस धम्मो घडपडजलदव्याणि चइकण महामोह ६२ । चउरक्खा पंचक्खा

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