Book Title: Kartikeyanupreksha
Author(s): Kumar Swami
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 586
________________ श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास द्वारा संचालित श्री परमश्रुतप्रभावक मण्डल ( श्रीमद् राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला ) के प्रकाशित ग्रन्थोंकी सूची ता. १९ ४ ८७ से लागू (१) गोम्मटसार जीवकाण्ड श्री नेमिचन्द्रसिद्धान्तचक्रवर्तीकृत मूल गाथाएँ, श्री ब्रह्मचारी पं. खूबचन्दजी सिद्धान्तशास्त्रीकृत संस्कृत छाया तथा नयी हिन्दी टीका युक्त। अबकी बार पंडितजीने धवल, जयधवल, महाधवन और बडी संस्कृतटीकाके आधारसे विस्तृत टीका लिखी हैं। षष्ठावान । मूल्य - बीस रुपये | (२) गोम्मटसार कर्मकाण्ड श्री नेमिचन्द्रसिद्धान्तचक्रवर्तीकृत मूल गाथाएँ. पं. मनोहरलालजी शास्त्रीकृत संस्कृत छात्रा और हिन्दी टीका। पं. बचन्दजी द्वारा संशोधित जैन सिद्धान्तग्रन्थ है। पचमावृत्ति मूल्य - बीस रुपये । (३) स्वामिकार्त्तिकेयानुप्रेक्षा स्वामिकार्तिकेयकृत मूल गाथाएँ, श्री शुभचन्द्रकृत बडी संस्कृत टीका तथा स्याद्वाद महाविद्यालय वाराणसीके प्रधानाध्यापक पं. कैलासचन्द्रजी शास्त्रीकृत हिन्दी टीका। डॉ. आ. ने. उपाध्येकृत अध्ययनपुर्ण अंग्रेजी प्रस्तावना आदि सहित आकर्षक संपादन। द्वितीयावृत्ति मूल्य - चौबीस रुपये। ( ४ ) परमात्मप्रकाश और योगसार श्री योगीन्दुदेवकृत मूल अपभ्रंश दोहे, श्री ब्रह्मदेवकृत संस्कृत टीका व पं. दौलतरामजीकृत हिन्दी टीका । विस्तृत अंग्रेजी प्रस्तावना और उसके हिन्दीसार सहित । महान् अध्यात्मग्रंथ डॉ. आ.ने. उपाध्येका अमूल्य सम्पादन । नवीन पंचम संस्करण | मूल्य - चौबीस रुपये । (५) ज्ञानार्णव श्री शुभचन्द्राचार्यकृत महान् योगशास्त्र । सुजानगढ़ निवासी पं. पन्नालालजी बाकलीवालकृत हिन्दी अनुवाद सहित पंचमावृत्ति । मूल्य - बीस रुपये। (६) प्रवचनसार श्री कुन्दकुन्दाचार्य विरचित ग्रन्थरत्नपर श्री अमृतचन्द्राचार्य कृत तत्त्वप्रदीपिका एवं श्री जयसेनाचार्यकृतं तात्पर्यवृत्ति नामक संस्कृत टीकाएँ तथा पांडे हेमराजजी रचित बालावबोधिनी भाषाटीका। डॉ. आ. ने उपाध्येकृत अध्ययनपूर्ण अंग्रेजी अनुवाद तथा विशद प्रस्तावना आदि सहित आकर्षक सम्पादन । चतुर्थावृत्ति । मूल्य - चौबीस रुपये। (७) बहद्रव्यसंग्रह आचार्य नेमिचन्द्रसिद्धान्तिदेवविरचित मूल गाथाएं, संस्कृत छाया, श्री ब्रह्मदेवविनिर्मित संस्कृतवृत्ति और पं. जवाहरलाल शास्त्रीप्रणीत हिन्दी भाषानुवाद। प्रद्रव्यसप्ततत्त्वस्वरूपवर्णनात्मक उत्तम ग्रन्थ चतुथावृत्ति । मूल्य- बारह रुपये।

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