Book Title: Kartikeyanupreksha
Author(s): Kumar Swami
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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गाथा
लिभो विरो अलिओ विदेहो
अग्गी वि य होदि हिमं
अच्छी हि पिच्छमाणो अज्जनमिकेच्छखंडे
ra fare विहा अणउदयादो छहं
गवरयं जो संचदि लच्छि
अणुदरी कुंपो
अणुपरिमाणं तच
toursरूवं दवं
अण्णभवे जो सुमो
अण्णं देहं गिदवि जपणी
अपि एवमाई
अणोरणपवेसेण य
अण्णोष्णं खनंता
अथिर परियणसयणं
अदुव असरण भणिया
संसकरणं
अप्पसरूवं वत्युं च
अप्पा जो जिंद
अप्पा णं पि वर्ततं
अप्पा पि य सरणं
अ
अलिवणं पिस
अवसप्पणीए पढने
अविरयसम्मादिवी
अदमयं दुग्गंध
असुराणं पणवीसं असुरोदीरि यदुक असुई अर
अह कह वि पमादेण य
अह का विवदि देवो
अह गच्मे वि य जायदि
कार्तिके० ५६
गाहाणुकमणिया
गाथाः
२६
१
४३२
२५०
१३२
१३१
३०९
१५
१७५
२३५
२४०
३९
८०
२०९
११६
४२
६
२
९२
९९
११२
२९
३१
४३४
१७२
१९७
३३७
१६९
३५
४७१
४५२
५८
४५
गाया
अह जीरोओ देहो
अह जीरोओ होदि हु
अह धणसहिदो होदि
मह लहूदि अज्जव
अहषा देवो होदि हु
अहवा बंभसरूवं
अइ होदि सीलजुत्तों
अंगुल असंभागो
अंतरतथं जीवो अंतोमुडुतमेतं लीं
आपण मरण आहारगिद्धिरहिओ आहारसरीरिदिय
इको जीवो जायदि
रक्षो रोई सोई
इको संयदि पुण्णं
माइक्
इद्वविओगं दुक्ख
दि एसो जिम्मो
इय जानिकण भावह
इदुल म
इस पचक्यांपे
इस सम्बदुलदुलई
इय संसारे जाणिय
इहपरलोमणिरीक्षे
हपरलोय हाणं ईदियर्ज मदिणाणं
उत्तमगुणगणरओ उत्तमगुणा धार्म
आ
उ
गामाङः
५२
२९३
२९२
२११
२९८
२३४
२९४
१६६
२०५
४००
२८
४४३
१३४
૪
७५
७६
३७
५९
४०८
३
३००
સર
३.१
७३
२६५
४००
२५८
३१५ १०४

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