Book Title: Kartikeyanupreksha
Author(s): Kumar Swami
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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-कसिगेयाणुप्पेक्खा
३७८
[शुभचन्द्र, शानार्णव ४०-२९] [ तत्वार्थसूत्र ९-३] योगीन्द्रदेव [परमात्मप्रकाश १-८३1 [ोम्मटसार जी० कां० १५७] [गोम्मटसार जी. कां. २०५] [गोम्मटसार जी० का १७५] [ शुभचन्द्र, ज्ञानार्णव ४२-५३]
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[देवसेन, भावसंग्रह ५२०]
२२०
३०७ [गोम्मटसार जी का० १६१] [गोम्मटसार १२२] [ मूलाचार -१०५] [ज्ञानसूर्योदयनाटकेऽपि उदधृतोऽये श्लोकः, पत्र २७] ३०८ [भावपाहुट ५३ ] गन्धराधना
तबासौ निश्चलोऽभूतों तपसा निजेरा छ तरुणन बूढङ स्यहाउ दललीधुनि- ससरा सिपुत दिमादी तसहीणो संसारी तस्सिव क्षणे साक्षात् ते पुष्प अहिणाशु तंदूमगंभपुष्कर सा देहो ता पाया ताबन्द्रबलं सती ग्रहचलं सावन्महत्वं पाण्डिसं तिगुमा सत्तगुणाका तिणि समा छलीसा तिविहं तियरणसद्ध तुरगणधरलं गर्भ तुसमासं पोसतो तद पियरो मह पियरों सेभो पुरुसामारों तेन भ्यानोत्पनीरेण सेन श्रीशुभचन्द्रण तोवत्यनिरपि जत्यहिरपि विसमाइतिर्षनः
कास्य द्रव्यपदक थावर संसपिपीलिम पोस्सामि है जिणवरे दण्डपमाण बहलं देखजुगे ओरल देसममोहक्शवणापछयगो दसणमोहुषसमदो देसपमोहदयादो दसणमोहे सविहे दिग्पलेषु ततोऽन्येषु दिवलय परिगणितं दिपपरियधीरचारया दिनकर किरणनिकर दिवसो धक्सोमासो विवा पश्यति नो घूकः सुक्खाइ कारणि जे विसम दुचरियं बोस्सरामि
शुभयन्त्र, का. . टीका, प्रशविर
३९५ [सूक्तिमुक्तावलि ४.]
३२६ [लीलावती!] शक [षदखण्डागम पु. १. पृ. १२९]
२२९ [गोम्मरसार जी. का. १७४] [ तीर्थंकरस्तुति १ (प्रा. बोस्सामि. थुदि)] २७३
३८८ [ पञ्चसंग्रह १-१९९]
३८८ [ मोम्मटसार ६४८] [गोम्मटसार जी को ६४९1 [गोम्मटसार जी० कां० ६४८] [गोम्मटसार जी का ६४५-१; लब्धिसार १६४] ११९ [शुभचन्द्र, ज्ञानार्णव ३८-४०]
३७२ [समन्तभद्र, र.धा. ६८] [यमुनन्दि, श्रावकाचार ३१२]
२८९ [ दशभक्ति, योगिभक्ति३] [नेमिचन्द्र, गोम्मटसार जी० ५७५]
२१%
२२०
योगददेव [ परमात्मप्रकाश १-८५]
१२४ [शभक्ति, कृतिकर्म, पृ. १५1( मराठी शभकि) २७३

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