Book Title: Kalyan Bharati
Author(s): Nyayavijay
Publisher: Hemchandracharya Jain Gyanmandir Patan
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अर्पणम् वि
विद्याक्षेत्रसमर्पितगुरुतम-प्राचीन-विद्याकर-- ग्रन्थोद्धारण-शोधन प्रकटनासक्तैर्ग्रहाप्रजिलैः । एतद्देशविदेशवासिविबुधस्तोतव्यसाहित्यिकाऽऽयासैःसद्गुणगौरवोदितयशःश्रीवैभवालकृतः ।।१।।
श्रीयुक्त-पुण्यविजयैः समुपक्रियेऽहं सद्भावसौहृदसुधारससे चनेन- । भूयोऽपि भूय इति तत्सुपवित्रपाणौ भक्त्या लघु कृतिमिमां विनतोऽर्पयामि ।।२।।
नववर्षप्रथममङ्गलदिनम् , वि. स. २०२२
मांडल ( वीरमगाम)
-~-न्यायविजयः
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